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रक्‍तस्राव: हर 1000 महिलाओं में से 5 के साथ होता है ऐसा, जानिए कैसे बची जान

jantaserishta.com
10 April 2022 3:14 AM GMT
रक्‍तस्राव: हर 1000 महिलाओं में से 5 के साथ होता है ऐसा, जानिए कैसे बची जान
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लखनऊ: बच्चे को जन्म देने के दौरान मां की होने वाली मौत का एक मुख्य कारण होता है प्रसव के बाद होने वाला रक्त स्त्राव. ऐसे ही एक मामले को राजधानी लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के क्वीन मैरी हॉस्पिटल ने बड़ी ही आसानी से संभाल लिया और मां की जान पर बना खतरा टल गया.

केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर ने बताया कि रक्त स्त्राव का केस हर गर्भवती महिलाओं में नहीं होता है. ऐसे मामले 1 हजार महिलाओं में से पांच में ही देखने को मिलते हैं. ऐसे में इस जटिल स्थिति से गर्भवती महिला को बचा पाना बहुत ही ज्यादा मुश्किल होता है. हालांकि केजीएमयू के डॉक्टरों महिला का प्रसव कराया और बच्चे की जान को भी बचाया.
प्लेजेनटा एक्रेटा के जिस केस को उपचारित किया गया है उसके बारे में जानकारी देते हुए डॉ सुधीर ने बताया कि साढ़े 8 महीने की गर्भवती महिला जोकि सुल्तानपुर की रहने वाली थी. वह केजीएमयू के क्वीन मैरी अस्पताल में भर्ती हुई थी. इसी दौरान महिला को रक्तस्त्राव शुरू हो गया. जिसके बाद महिला का ऑपरेशन करना जरूरी हो गया था और डॉक्टरों ने ऑपरेशन की तैयारी पूरी करके प्रेग्नेंट महिला को रेडियोलॉजी विभाग में शिफ्ट किया गया, ताकि महिला के गर्भाशय की नसों में बैलून डाल कर रक्त स्त्राव को रोका जा सके.
डॉक्टर्स ने बताया कि बच्चे के जन्म के बाद महिला को हो रही ब्लीडिंग को रोकने के लिए नसों में डाले गए दोनों बैलून को लगभग 30 मिनट तक फूलाकर रखा गया. उन्होंने कहा कि बैलून इन्फ्लेशन प्रोसीजर का यह तरीका महिला की ब्लीडिंग रोकने और उसकी जान को बचाने में सफल रहा.
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि बैलून इन्फ्लेशन प्रोसीजर का इस्तेमाल ऑपरेशन में होने वाले प्लेसेंटा और यूटरस से होने वाले रक्त स्राव को रोकने के लिए किया जाता है. इनके अलावा उन महिलाओं में भी कर सकते हैं जो बच्चेदानी निकलवाने की इच्छुक नहीं है.
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी का दावा है कि अभी तक यूपी के किसी भी सरकारी मेडिकल इंस्टीट्यूट में इस प्रकार का ऑपरेशन नहीं किया गया जिसमें महिला को बचाया जा सका हो.
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