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फाइल फोटो
रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबजारी
देश भर में कोरोना वायरस (Corona Virus) के बढ़ते मामलों के बीच रेमडेसिविर (Remdesivir) इंजेक्शन की भारी किल्लत देखने को मिल रही है. इंजेक्शन की कमी होने के बीच लगातार कालाबाजारी की खबरें आ रही हैं, लेकिन अब एक ऐसा रैकेट पकड़ा गया है जो नकली इंजेक्शन बनाता था. मामला मध्य प्रदेश के रतलाम जिले का है. यहां नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने वाले गैंग का भंडाफोड़ हुआ है.
पुलिस ने पाया है कि नर्स बहन अपने भाई को वैक्सीन की खाली शीशी लाकर देती थी. भाई इसमें एंटीबायोटिक इंजेक्शन भर देता और उसे फेवीक्विक से जोड़ देता था. इंजेक्शन की खाली शीशी पर मरीज का नाम लिखा रहता था, जिसे वह सैनेटाइजर से मिटा देते थे. नकली इंजेक्शन बनाने के बाद यह दलालों को 6-8 हजार रुपये में बेचते थे और दलाला कस्टमर को सामान्य एंटीबायोटिक इंजेक्शन 30-40 हजार रुपये में बेचते थे.
सात लोग गिरफ्तार
फर्जी वैक्सीन बनाने के मामले में पुलिस ने 7 लोगों को गिरफ्तार किया है. जीवांश हॉस्पिटल के उत्सव नायक, डॉक्टर यशपाल सिंह, प्रणव जोशी, मेडिक अस्पताल में काम करने वाली नर्स रीना प्रजापति और उसका भाई पंकज और अस्पताल में टोकन देने वाला गोपाल मालवीय और रोहित मालवीय को गिरफ्तार किया गया है.
पुलिस ने जब्त की नकली वैक्सीन
जानकारी के मुताबिक शनिवार को जीवांश हॉस्पिटल के दो डॉक्टरों को पुलिस ने अवैध रूप से 30 हजार रुपये में इंजेक्शन बेचते पकड़ा था. इस दौरान पुलिस ने डॉक्टर उत्सव नायक और डॉक्टर यशपाल सिंह को गिरफ्तार किया. पूछताछ में कई खुलासे हुए, जिसके बाद प्रणव जोशी को गिरफ्तार किया गया. इसके बाद पुलिस ने कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए नर्स रीना और उसके भाई पंकज को गिरफ्तार किया. पुलिस ने आरोपियों के पास से नकली वैक्सीन बरामद की है.
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