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जान से खिलवाड़ नकली दवा का काला कारोबार: 50 लाख की नशीली दवा भी बरामद, पुलिस से बचने इस कोड वर्ड का होता था इस्तेमाल

Subhi
22 Jun 2021 12:47 PM GMT
जान से खिलवाड़ नकली दवा का काला कारोबार: 50 लाख की नशीली दवा भी बरामद, पुलिस से बचने इस कोड वर्ड का होता था इस्तेमाल
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दवाओं का काला कारोबार कर रहे लोग दवा के नाम पर खड़िया और इंजेक्शन के नाम पर डिस्टिल वाटर बेचने का काम कर रहे थे.

कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में पुलिस ने लोगों की जान से खिलवाड़ कर नकली दवा का काला कारोबार करने वालों का भंडाफोड़ किया है. इनके पास करीब 50 लाख रुपये कीमत की भारी मात्रा में नकली और नशीली दवाओं को बरामद किया है. गैंग के तार राजधानी लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी और बहराइच समेत कई जिलों से जुड़े हैं. दवाओं का काला कारोबार कर रहे लोग दवा के नाम पर खड़िया और इंजेक्शन के नाम पर डिस्टिल वाटर बेचने का काम कर रहे थे.

पुलिस ने दो आरोपियों को किया गिरफ्तार
नकली दवाओं के नाम पर जान से किए जा रहे खिलवाड़ का भंडाफोड़ कानपुर पुलिस ने किया है. कानपुर क्राइम ब्रांच ने गुड्डू और मुन्ना नाम के दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है. जिनके पास से पुलिस को भारी मात्रा में नाइट्रावेट और जिफी 200 की गोलियां बरामद की हैं. पुलिस ने जब जांच के दायरे को बढ़ाया तो जो खुलासा हुआ उससे सभी हैरान रह गए.
लखनऊ में है गोदाम
लखनऊ के गोदाम से बड़े पैमाने पर प्रदेश के जिलों में नकली दवाओं और इंजेक्शन की सप्लाई की जा रही है. पुलिस की एक टीम ने लखनऊ के अमीनाबाद स्थित गोदाम में छापा मारकर भारी मात्रा में नकली दवाइयां बरामद की हैं. पुलिस की जांच में इस बात का खुलासा हुआ कि ये गोदाम लखनऊ के रहने वाले मनीष का है, जहां से पूरे प्रदेश में नकली दवाओं की सप्लाई हो रही है. नकली दवाएं खड़िया से बनाई जा रही है वहीं इंजेक्शन में डिस्टिल वाटर का इस्तेमाल किया जा रहा है. ये लोग ऐसी नकली दवाओं की बिक्री करते हैं जिनकी मार्केट में मांग ज्यादा रहती है.
कोड वर्ड का करते थे इस्तेमाल
नकली दवाओं के कारोबार में शामिल शातिर दवाओं को लखनऊ से विभिन्न जिलें में भेजने के लिए रोडवेज की बस का प्रयोग करते थे. पैकेट बनाकर ड्राइवर कंडक्टर को डिलीवरी पहुंचाने के लिए खर्चा दिया जाता था. वहीं, जिस व्यक्ति को डिलीवरी लेनी होती थी उसे बस की नंबर प्लेट का फोटो खींचकर भेज दिया जाता. शातिर पुलिस से बचने के लिए कैडबरी चॉकलेट और परले जी बिस्किट नाम के कोड वर्ड का इस्तेमाल करते थे. पुलिस अधिकारी जल्द ही इस पूरे रैकेट से जुड़े अन्य लोगों की गिरफ्तारी करने का दावा कर रहे हैं.
क्या कहते हैं जानकार
वहीं, जानकारों का कहना है कि महत्वपूर्ण दवाओं के सही समय से नहीं मिलने पर मरीज की हालत बिगड़ सकती है. खड़िया खाने से पथरी बनने का खतरा बढ़ सकता है. वहीं, डिस्टिल वाटर के इंजेक्शन से सीधे तो कोई नुक्सान तो नहीं होता है लेकिन इंजेक्शन का सॉल्ट नहीं मिलने की वजह से मरीज की हालत बिगड़ सकती है.
नकली और नशीली दवाओं के इस भंडाफोड़ से एक बात तो तय है कि आने वाले दिनों में इस बड़े गिरोह के कुछ और लोग भी पुलिस की गिरफ्त में आएंगे. जिससे इस धंधे की कमर टूटना तय है.

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