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बीजेपी ने साधा गहलोत सरकार पर निशाना, सीबीआई जांच के साथ की पद से इस्तीफा देने की मांग
Apurva Srivastav
15 March 2021 4:53 PM GMT
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भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राजस्थान की गहलोत सरकार पर निशाना साधा और इस मामले की जांच सीबीआई से करवाने की मांग करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए।
फोन टैपिंग के मामले को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राजस्थान की गहलोत सरकार पर निशाना साधा और इस मामले की जांच सीबीआई से करवाने की मांग करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने राजस्थान क्राइसिस के हैशटैग का इस्तेमाल करते हुए कई ट्वीट कर कांग्रेस सरकार पर हमला बोला। मालूम हो कि पिछले साल कांग्रेस के कुछ विधायकों द्वारा मुख्यमंत्री गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ बगावती तेवर अपनाए जाने के बाद कांग्रेस ने अपने विधायकों को लंबे समय तक अलग अलग होटलों में रखा था। इस दौरान विधायकों के फोन टैप किए जाने के आरोप लगे थे। अब एक सवाल के जवाब में गहलोत सरकार ने फोन टैपिंग की बात को स्वीकार किया है।
गहलोत सरकार ने माना- करवाई थी फोन टैपिंग
राजस्थान में राजनीतिक संकट के महीनों बाद, गहलोत सरकार ने स्वीकार किया कि फोन टैपिंग करवाई गई थी। वरिष्ठ बीजेपी विधायक काली चरण सराफ ने अगस्त में सवाल पूछा था कि क्या पिछले कुछ दिनों में फोन टैप किए जाने के मामले सच हैं? अगर हां तो यह किसके ऑर्डर और किस कानून के तहत ऐसा किया गया। कृपया इस बारे में विधानसभा में जवाब दें। सराफ ने तत्कालीन डिप्टी सीएम सचिन पायलट के नेतृत्व में 18 विधायकों द्वारा गहलोत के नेतृत्व में विद्रोह करने के बाद फ्लोर टेस्ट के जरिए बहुमत साबित करने के लिए सरकार द्वारा बुलाए गए विशेष विधानसभा सत्र के दौरान सवाल उठाया था।
लीक हुई थी कथित टेलिफोनिक बातचीत
राजस्थान में एक केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेताओं के बीच कथित रूप से लीक हुई टेलिफोनिक बातचीत ने भी राज्य में राजनीतिक संकट पैदा कर दिया था, जिसके बाद अवैध रूप से फोन टैप किए जाने के आरोप लगाए जाने लगे थे। सराफ द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में, राजस्थान के गृह विभाग ने जवाब दिया कि लोक सुरक्षा या लोक व्यवस्था के हित में या किसी ऐसे अपराध को प्रोत्साहित होने से रोकने के लिए जिससे लोक सुरक्षा या लोक व्यवस्था को खतरा हो। टेलीफोन अवरोध अधिनियम-1885 की धारा 5-2 और आईटी ऐक्ट की धारा-69 में दिए गए प्रावधानों के अनुसार ही फोन टैप किए जाते हैं। रास्थान पुलिस द्वारा उपरोक्त प्रावधानों के अंतर्गत टैपिंग अधिकारी से अनुमति प्राप्त करने के बाद ही किए गए हैं।
वरिष्ठ बीजेपी विधायक ने पूछा था सवाल
सराफ ने कहा कि मैंने पिछले विधानसभा सत्र में सवाल पूछा था। राजनीतिक संकट को लेकर सवाल पूछा गया था। अभी तक मुझे लिखित जवाब नहीं मिला है। उधर, केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कई ट्वीट कर कहा, ''बीजेपी ने पिछले साल जुलाई में ही कहा था कि राजस्थान में इमरजेंसी जैसे हालात हैं। लेकिन उस समय गहलोत सरकार ने इनकार कर दिया था और अब मान लिया है कि फोन टैप किए गए थे। यह प्राइवेसी का हनन है और लोकतंत्र की हत्या है।'' इसके आगे, शेखावत ने कहा कि उस समय गहलोत संत बने हुए थे। उन्हें आज जवाब देना होगा। उन्होंने कहा कि मुझे कांग्रेस की लाचारी का दुख है! उनकी ही पार्टी के युवा नेताओं सहित विधायक फोन टैपिंग के जाल में फंस गए, लेकिन अपमान की ऐसी परिणति कांग्रेस की परंपरा रही है। राजस्थान को ऐसी सरकार पर कैसे भरोसा करना चाहिए जो केवल अपने विधायकों पर भरोसा नहीं करती है।
राजस्थान बीजेपी चीफ ने मांगा इस्तीफा
वहीं, राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनियां ने कहा कि यह इतना संगीन मामला हो गया कि सदन में झूठ बोला गया और तथ्यों के साथ छेड़खानी हुई। मुख्यमंत्री इसके दोषी हैं जो गृहमंत्री भी हैं। कहीं न कहीं ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री की नीयत में खोट है और वह असुरक्षित महसूस करते हैं ... उन्हें तत्काल अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए और इस प्रकरण की सीबीआई से जांच होनी चहिए। पूनियां ने कहा कि सीबीआई जांच होने पर सारी जानकारी सामने आ जाएगी। उल्लेखनीय है कि पिछले साल राजस्थान में राजनीतिक संकट के दौरान गहलोत खेमे के नेताओं ने आरोप लगाया था कि बीजेपी के नेता सरकार को गिराने के लिए राजस्थान कांग्रेस के विधायकों की खरीद-फरोख्त कर रहे हैं। इसके अलावा, राज्य सरकार ने पिछले साल आरोपों को खारिज कर दिया था कि फोन टैपिंग की गई। गहलोत ने विधानसभा के अंतिम सत्र में स्पष्ट रूप से कहा था कि राज्य में निर्वाचित प्रतिनिधि का कोई अवैध फोन टैपिंग नहीं की गई थी।
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