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कोलकाता: पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावके पहले स्थानीय स्तर पर तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ 8 सीटों पर जीता भाजपा-लेफ्ट गठबंधनऔर वामपंथी पार्टियों के गठबंधन की खबरें आ रही हैं. नंदकुमार-बहरमपुर सहकारी समिति चुनाव में कुछ दिन पहले वाम-भाजपा गठबंधन की तस्वीर सामने आई थी. सहकारी बचाओ समिति ने सभी 68 निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल की थी. इसी समिति में विपक्षी भाजपा, वामपंथी सत्ताधारी तृणमूल के विपरीत मैदान में उतरे थे. अब महिषादल सहकारी समिति के चुनाव में यह गठबंधन आठ सीटों पर विजयी रहा है.
बता दें कि नंदकुमार-बहरमपुर सहकारी चुनाव में सत्तारूढ़ दल के उम्मीदवारों ने 45 सीटों के लिए नामांकन दाखिल किया था, लेकिन बाद में इसे वापस ले लिया था. वाम-भाजपा को निर्विरोध बड़ी जीत के साथमिली थी.
महिलाषदल सहकारी समिति के चुनाव में टीएमसी को बहुमत
महिषादल में कुल 76 सीटों पर मतदान हुआ था. इसमें से तृणमूल कांग्रेस पहले ही 1 सीट निर्विरोध जीत चुकी थी. रविवार को 75 सीटों पर वोटिंग हुई. शाम चार बजे के बाद मतगणना शुरू हुई. शाम साढ़े चार बजे प्राप्त अपडेट में पता चला कि तृणमूल समर्थित उम्मीदवारों ने उस समय तक 27 सीटों पर जीत हासिल कर ली थी. लेकिन थोड़ी देर बाद सत्ताधारी खेमे के चेहरे खिल गये. अंतिम परिणाम से पता चलता है कि तृणमूल समर्थित उम्मीदवारों ने 68 सीटें जीती हैं. विपक्षी गठबंधन के उम्मीदवारों ने 8 सीटों पर जीत हासिल की.
लेफ्ट-भाजपा गठबंधन ने 75 सीटों पर खड़ा किया था उम्मीदवार
महिषादल में हालांकि सहकारी समिति की चुनाव में टीएमसी की जीत मिली है, लेकिनपूर्व मेदिनीपुर सहकारी समिति चुनाव में तृणमूल (टीएमसी) को रोकने के लिए वाम-भाजपा गठबंधन महत्वपूर्ण है, जो भविष्य की राजनीति की ओर संकेत कर रहा है. बता दें कि महिषादल सहकारी समिति की कुल 76 सीटें थीं. वहां लेफ्ट और बीजेपी ने संयुक्त रूप से 'यूनाइटेड फार्मर्स फ्रंट' के नाम से 75 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे. इनमें बीजेपी के 62 और लेफ्ट के 13 उम्मीदवार थे. वहीं तृणमूल ने सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. इस सहकारी समिति के चुनाव परिणाम के बाद तृणमूल कांग्रेस को एकतरफा जीत मिली है, लेकिन गठबंधन ने आठ सीटें छीनने में सफल रहा है.
पंचायत चुनाव में दिखेगी सहकारिता चुनाव की छाया
बता दें कि पश्चिम बंगाल में ज्यादातर सहकारी समितियों पर टीएमसी का कब्जा है. अगले साल पंचायत चुनाव होने हैं. पंचायत चुनाव में टीएमसी ज्यादातर सीटों पर जीत हासिल करने की कोशिश करेगी, लेकिन जिस तरह से सहकारिता चुनाव में स्थानीय स्तर पर लेफ्ट और भाजपा समर्थित लोगों के बीच गठबंधन हो रहे हैं. उससे राजनीतिक विश्लेषकों ने इस संभावना से इनकार नहीं किया है कि पंचायत चुनाव में भी तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ लेफ्ट और भाजपा का गठबंधन होगा. क्योंकि पंचायत चुनाव पूरी तरह से स्थानीय राजनीति के तहत होता है.
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