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हार के बाद भड़के बीजेपी लीडर, कहा- सबका साथ, सबका विकास कहना बंद करो

jantaserishta.com
17 July 2024 8:12 AM GMT
हार के बाद भड़के बीजेपी लीडर, कहा- सबका साथ, सबका विकास कहना बंद करो
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कोलकाता: पश्चिम बंगाल में नेता विपक्ष और बीजेपी लीडर शुभेंदु अधिकारी ने बुधवार को बड़ा बयान दिया है. शुभेंदु अधिकारी ने कहा, आप (बीजेपी नेता) सभी कहते हैं- 'सबका साथ, सबका विकास', लेकिन अब हम यह नहीं कहेंगे. अब हम कहेंगे 'जो हमारा साथ, हम उनके साथ...' सबका साथ, सबका विकास कहना बंद करो. अल्पसंख्यक मोर्चा की भी जरूरत नहीं है.
शुभेंदु अधिकारी का कहना था कि हम जीतेंगे, हम हिंदुओं को बचाएंगे और संविधान को बचाएंगे. मैंने राष्ट्रवादी मुसलमानों के बारे में बात की. आप सभी ने नारा भी दिया कि सबका साथ, सबका विकास. उसके बाद शुभेंदु ने दोनों हाथ जोड़े और अब हम ये सब नहीं कहेंगे.
शुभेंदु अधिकारी ने कहा, जो हमारे साथ, हम उसके साथ. सबका साथ, सबका विकास बंद करो. हमें अल्पसंख्यक मोर्चे की भी जरूरत नहीं है. अंत में उन्होंने जय श्री राम के नारे लगाए. सभागार में शुभेंदु के भाषण पर कार्यकर्ताओं ने तालियां बजाकर स्वागत किया.
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने "सबका साथ, सबका विकास" का नारा 2014 के आम चुनाव अभियान के दौरान दिया था. ये नारा भारतीय जनता पार्टी (BJP) के चुनावी अभियान का मुख्य नारा बन गया था और इसका उद्देश्य सभी भारतीयों के समावेशी और समग्र विकास को बढ़ावा देना था. यह नारा भारत के सभी नागरिकों, विशेष रूप से पिछड़े और वंचित वर्गों के विकास और सशक्तिकरण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
पश्चिम बंगाल में मुस्लिमों को तृणमूल कांग्रेस का कोर वोट माना जाता है. लेफ्ट-कांग्रेस की भी इस पर नजर रहती है. बीजेपी को भी इस समुदाय तक अपनी पहुंच बढ़ाने में जुटा देखा गया है. हालांकि, नतीजों ने निराश किया है. साल 2018 के बंगाल पंचायत चुनाव में मुस्लिम वोटों को लुभाने के लिए बीजेपी ने मुस्लिम सम्मेलन आयोजित किए थे. बीजेपी ने मुस्लिम समुदाय से 850 से ज्यादा लोगों को टिकट दिए थे, जिसमें 27 को जीत मिली थी. 2016 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने 6 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारे थे. बंगाल में करीब 30 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं, जो सूबे के 294 सीटों में से करीब-करीब 100 पर निर्णायक भूमिका में हैं. 2010 के बाद से बंगाल में मुस्लिम मतदाता टीएमसी का कोर वोटबैंक माना जाता है.
हालांकि, यहां अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं का मानना है कि मुस्लिम वोटर्स का बड़ा हिस्सा बीजेपी को रोकने के लिए वाम-कांग्रेस गठबंधन के बजाय तृणमूल कांग्रेस को तरजीह देता आ रहा है.
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