राजस्थान। राजस्थान में बुधवार को उठे एक राजनीतिक विवाद ने ऐसा असर दिखाया कि कांग्रेस के भीतर की एक बदली तस्वीर नजर आने लगी. मामला ऐसा रहा कि अब तक हर मुद्दे पर तकरार मान कर चलने वाले राज्य के दो प्रमुख दिग्गज एक साथ खड़े हो गए. यह कुछ ऐसा था कि 'हम आपस में भले तकरार करें, लेकिन अगर किसी बाहरी ने चोट पहुंचाने की कोशिश की तो मिलकर मुकाबला करेंगे.'
ये तस्वीर बनती दिखी राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और कांग्रेस नेता सचिन पायलट के बीच. यूं तो दोनों के बीच बीते कुछ सालों से राजनीतिक तकरार देखी जा रही है, लेकिन बुधवार को भाजपा के उठाए एक विवाद में दोनों एक-दूसरे के साथ आ खड़े हुए. हुआ कुछ यूं कि, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को भाजपा पर पूर्व कांग्रेस नेता दिवंगत राजेश पायलट का अपमान करने का आरोप लगाया. एक्स पर एक पोस्ट में, बीजेपी आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने दावा किया था कि राजेश पायलट और सुरेश कलमाडी भारतीय वायु सेना के विमानों को उड़ा रहे थे, जिन्होंने 5 मार्च, 1966 को मिजोरम की राजधानी आइजोल पर बमबारी की थी.
इससे पहले मंगलवार को सचिन पायलट ने एक्स पर मालवीय पर निशाना साधते हुए कहा था कि तथ्य और तारीखें गलत हैं क्योंकि उनके पिता को उसी साल अक्टूबर में बल में नियुक्त किया गया था, उन्होंने वह प्रमाणपत्र भी साझा किया जिसके अनुसार राजेश पायलट को 29 अक्टूबर, 1966 को भारतीय वायु सेना में नियुक्त किया गया था. एक्स पर एक पोस्ट में, गहलोत ने कहा कि राजेश पायलट भारतीय वायु सेना के एक बहादुर पायलट थे. मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, "उनका अपमान करके भाजपा भारतीय वायु सेना के बलिदान का अपमान कर रही है. पूरे देश को इसकी निंदा करनी चाहिए."
राजेश पायलट के बेटे सचिन पायलट ने बीजेपी के आरोपों का जवाब दिया था तो वहीं, इसके बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत अपनी पार्टी के सहयोगी सचिन पायलट के बचाव में खड़े हुए हैं. गहलोत ने राजेश पायलट को भारतीय वायुसेना का वीर पायलट बताया है. उन्होंने कहा कि बीजेपी उनके बलिदान का अपमान कर रही है. हालांकि गहलोत की ओर से पायलट के समर्थन में आने और उनके पक्ष में भाजपा को घेरने की वजह से बीजेपी के आरोप हल्के पड़ गए और गहलोत-पायलट के संबंधों में फीकी पड़ी तल्खी चर्चा का विषय बन गई. अब राज्य में इसे नए समीकरण और आने वाले विधानसभा चुनावों से पहले मजबूत आधार बनाए जाने के तौर पर देखा जा रहा है, साथ ही यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या गहलोत और पायलट के बीच की दूरियां कम हो गई हैं? बीते कुछ महीनों में सचिन पायलट ने अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा भी खोल रखा था. गहलोत एक इंटरव्यू में सचिन पायलट को गद्दार तक कह चुके हैं. सचिन पायलट की बगावत के बाद गहलोत ने पहली बार उनका समर्थन किया है. ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान के दखल से शायद दोनों नेताओं के बीच दूरी कम हो गई है.