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कलेक्टर साहब को बाहर निकाला, मंत्री ने क्यों किया ऐसा? जानें
jantaserishta.com
22 Nov 2022 7:30 AM GMT
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
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बीकानेर: राजस्थान में पंचायती और ग्रामीण विकास मंत्री रमेश मीणा ने बीकानेर कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल (IAS) को मीटिंग से बाहर निकाल दिया. इस मामले को लेकर प्रदेश में बवाल मच गया है. राजस्थान के कर्मचारियों ने अशोह गहलोत सरकार के मंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. राजस्थान राजस्व मंत्रालय कर्मचारी संघ ने मांग की है कि मंत्री को इस कृत्य के लिए मांफी मांगनी चाहिए.
दरअसल, पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री महिलाओं के आजीविका कौशल की बैठक ले रहे थे. बीकानेर में चल रही इस बैठक में जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल भी मौजूद थे. मंत्री जी मंच पर बोल रहे थे, इसी बीच कलेक्टर साहब के मोबाइल की घंटी बज गई और वह कॉल रिसीव करके बात करने लगे.
मंत्री रमेश मीणा इससे इतना उखड़े कि उन्होंने जिले के आला अफसर को ही मीटिंग से बाहर जाने को कह दिया और फिर कलेक्टर भी मीटिंग छोड़कर चले गए. बैठक के बाद मंत्री मीणा ने कहा कि घोड़ा और घोड़ी पर कैसे चढ़ना है? यह आना चाहिए. मतलब मंत्रियों और अधिकारियों से कैसे काम कराना चाहिए, यह समझ में आना चाहिए. तभी ब्यूरोक्रेट (नौकरशाह) काबू में रहेंगे.
पंचायतराज मंत्री रमेश मीणा ने बीकानेर में एक कार्यक्रम के दौरान कलेक्टर को हॉल से बाहर निकाल दिया। मीणा मंच से भाषण दे रहे थे, कलेक्टर मोबाइल पर बात कर रहे थे। मीणा नाराज हो गए, उन्होंने कलेक्टर से कहा कि आप यहां से जाइये। कलेक्टर बाहर चले गए। बाद में लोगों के बुलाने पर वापस आए। pic.twitter.com/TkGullcpcP
— Ashish Jain/आशीष जैन (@jaina111) November 21, 2022
इस बयान के बाद राजस्थान के कर्मचारियों ने मंत्री के खिलाफ आपत्ति दर्ज कराई है. वहीं, जिला कलेक्टर कलाल की तरफ से भी कहा गया है कि कोई इमरजेंसी कॉल आ गया था, जिसकी वजह से उन्हें मोबाइल पर बातचीत करनी पड़ी.
ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा मंगलवार को झुंझुनूं पहुंचे. यहां मंत्री ने बीकानेर में हुए कलेक्टर के साथ विवाद पर बयान दिया. उन्होंने कहा है कि बीकानेर में राजीविका का कार्यक्रम चल रहा था. जहां पर हम महिलाओं से संबंधी कलेक्टर से वार्ता कर रहे थे. नरेगा में मेट महिला होनी चाहिए. महिलाओं के संगठनों का भवन होना चाहिए. अपना खेत अपना काम को प्राथमिकता दें. इस तरह की चर्चा हो रही थी. इसी दरमियान बीकानेर कलेक्टर बार-बार या तो फोन पर बात कर रहे थे या फिर चैट कर रहे थे. हो सकता है कि उनकी कोई व्यस्तता हो, एमरजेंसी हो. इसलिए मैंने कहा कि आपको बात करनी हो तो बाहर चले जाए.
पंचायती राज मंत्री के मुताबिक, उस कार्यक्रम में बीकानेर की 85 हजार महिलाओं की लीडर्स बैठी थीं. हम महिलाओं से बात कर रहे थे. साथ ही साथ कलेक्टर को भी निर्देश दे रहे थे, लेकिन वो ध्यान नहीं दे रहे थे. उन्हें क्या दिक्कत थी? यह भी नहीं बता रहे थे. इस तरह बातों को इग्नोर करना बड़ी बात है. अधिकारियों को काम करना चाहिए. दिशा निर्देश पर ध्यान देना चाहिए.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने निर्देश दिए हैं कि जिलों में जाएं, फीडबैक लें, लोगों के काम कराएं, रूबरू हों. अधिकारी को भी कहें जनता का काम करें. गरीब लोगों की सुनवाई हम नहीं करवाएंगे तो कौन करवाएगा?
पंचायती राजमंत्री रमेश मीणा के इस बर्ताव के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने भी मोर्चा खोल दिया है. बीजेपी के राज्यसभा सांसद डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा ने ट्वीट कर इस घटना की निंदा की है.
मीणा ने ट्विटर पर लिखा, ''दौसा में स्वास्थ्य मंत्री द्वारा सीनियर RAS को गेट-आउट कहा गया और बीकानेर में पंचायत मंत्री ने कलेक्टर को गेट-आउट कर ब्यूरोक्रेसी का घोर अपमान किया गया है. ये लोग भय का वातावरण बना रहे हैं. ऐसे दोनों मंत्रियों बर्खास्त किया जाए.''
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