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बिहार की राजनीति: टूट गई लोक जनशक्ति पार्टी, पढ़े पूरी खबर

Admin2
14 Jun 2021 10:52 AM GMT
बिहार की राजनीति: टूट गई लोक जनशक्ति पार्टी, पढ़े पूरी खबर
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बिहार की राजनीति में कभी अहम भूमिका निभाने वाली लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) अब टूट गई है. दिवंगत नेता रामविलास पासवान, जिन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी का गठन साल 2000 में किया था. उनके निधन के सिर्फ आठ महीने बाद ही पार्टी टूट गई और इसकी वजह रामविलास पासवान के छोटे भाई और पार्टी के सांसद पशुपति पारस की बगावत रही. लोक जनशक्ति पार्टी के चार सांसद चंदन सिंह, वीणा देवी, महबूब अली कैसर और प्रिंस राज ने सांसद पशुपति पारस को लोक जनशक्ति पार्टी संसदीय दल का नेता चुन लिया और चिराग पासवान पार्टी में अलग-थलग पड़ गए.

दरअसल, लोक जनशक्ति पार्टी में जो टूट हुई है उसकी पटकथा पिछले साल बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान ही लिखी जानी शुरू हो गई थी. जब चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला कर दिया था.

एनडीए से अलग होने का फैसला पड़ा भारी!

जानकारी के मुताबिक, लोक जनशक्ति पार्टी के अन्य सांसदों ने उस वक्त चिराग पासवान के फैसले पर आपत्ति जताई थी. मगर चुनाव के दौरान रामविलास पासवान के हुए निधन के कारण पार्टी के नेताओं ने चिराग पासवान का खुलकर विरोध नहीं कर पाए. चिराग पासवान के नेतृत्व में लोक जनशक्ति पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव अकेले लड़ा और सबसे ज्यादा नुकसान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) को पहुंचाया, जिसके कारण चुनाव में JDU केवल 43 सीट ही जीत सकी.

... जदयू ने लिया विधानसभा चुनाव का बदला?

चिराग पासवान की पार्टी के द्वारा जनता दल यूनाइटेड को चुनाव में जो नुकसान पहुंचाया गया इसका बदला लेने के लिए चुनाव के तुरंत बाद नीतीश कुमार की पार्टी ऑपरेशन में लग गई, जिसका नतीजा यह हुआ कि कुछ महीनों के अंदर ही लोक जनशक्ति पार्टी के इकलौते विधायक राजू कुमार सिंह को JDU में शामिल करा लिया गया.इस पहली सफलता के बाद JDU ने चिराग पासवान को नुकसान पहुंचाने के लिए एक बार फिर से नए ऑपरेशन में लग गई. सूत्रों के मुताबिक, लोक जनशक्ति पार्टी को तोड़ने में JDU के 2 बड़े नेताओं ने सबसे अहम भूमिका निभाई, जिनमें से एक सांसद राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह और दूसरे बिहार विधानसभा उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी हैं. बताया जा रहा है कि ललन सिंह और महेश्वर हजारी काफी समय से दिल्ली में ही रहकर इस ऑपरेशन की तैयारी कर रहे थे, जिसमें बीजेपी का भी उन्हें खुलकर समर्थन मिला. जानकारी के मुताबिक, रामविलास पासवान के निधन के बाद से ही चिराग पासवान को लेकर उनके परिवार और पार्टी में नाराजगी नजर आ रही थी.

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