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bihar : दागी विधायकों को हर महीने लाखों रुपये की पेंशन...लालू प्रसाद से लेकर प्रभुनाथ सिंह भी शामिल
Ritisha Jaiswal
5 Oct 2021 6:55 PM GMT
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बिहार में राजनीति (Bihar Politics) के अपराधीकरण का इतिहास पुराना है. सत्ता पक्ष हो या विपक्ष सभी में समय-समय पर दागी नेता रहे हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | . बिहार में राजनीति (Bihar Politics) के अपराधीकरण का इतिहास पुराना है. सत्ता पक्ष हो या विपक्ष सभी में समय-समय पर दागी नेता रहे हैं. इस वक्त राज्य के आधा दर्जन बड़े नेता ऐसे हैं जो संगीन मामलों में जेल की हवा खा रहे हैं. लेकिन राज्य सरकार हर महीने इन नेताओं को लाखों रुपये पेंशन (Pension) दे रही है. इन दागी नेताओं में लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav) से लेकर प्रभुनाथ सिंह और आनंद मोहन के नाम शामिल हैं.
माननीय सांसदों और विधायकों की ठसक पद पर रहते हुए होती ही है. सांसदी और विधायकी जाने के बाद भी उन्हें सरकार की तरफ से तमाम सुविधाएं मिलती हैं. सुविधाओं के अलावा उन्हें एक मोटी रकम पेंशन के तौर पर भी मिलती है. इनमें कई ऐसे नेता हैं जो हत्या, बलात्कार और भ्रष्टाचार जैसे संगीन मामलों में आरोपी हैं. कुछ नेताओं को कोर्ट ने सजा भी सुना दी है और यह दागी माननीय जेल में सजा भी काट रहे हैं. लेकिन बिहार के आधा दर्जन दागी माननीय लाखों की मोटी रकम पेंशन के रूप में ले रहे हैं. आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक, बिहार सरकार ऐसे दागी नेताओं पर हर साल लाखों रुपये खर्च करती है.
दागी नेताओं को हर महीने 54.72 लाख रुपये पेंशन
आरटीआई के मुताबिक, बिहार के छह बड़े दागी नेताओं को हर महीने 54.72 लाख रुपए का भुगतान पेंशन के तौर पर किया जा रहा है. RTI एक्टिविस्ट शिव प्रकाश ने यह आरटीआई दाखिल की थी. इस लिस्ट में सबसे पहला नाम पूर्व सांसद जगदीश शर्मा का है. इनको हर महीने 1.25 लाख रुपये पेंशन मिलती है. चारा घोटाला में सजा पाने वाले लालू यादव दूसरे नंबर पर हैं. रेप केस में जेल में बंद राजबल्लभ यादव तीसरे नंबर पर हैं. जबकि मर्डर केस में सजा काट रहे पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह चौथे नंबर पर हैं. विजय कृष्ण को भी हर महीने प्रभुनाथ सिंह जितनी ही 62 हजार रुपये पेंशन मिलती है, और वो पांचवें नंबर पर हैं. बाहुबली आनंद मोहन छठे नंबर पर हैं.
दागी नेताओं पर भ्रष्टाचार, हत्या और बलात्कार जैसे जघन्य मामले
इन माननीयों पर भ्रष्टाचार, हत्या और बलात्कार जैसे जघन्य आपराधिक मामले दर्ज हैं. इनमें कुछ पर तो कोर्ट ने आरोप तय कर दिये हैं. कुछ जेल की सजा भी काट रहे हैं और कुछ नेता जमानत पर जेल से बाहर भी हैं. जगदीश शर्मा और पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव चारा घोटाले में दोषी हैं. राजबल्लभ यादव वर्ष 2016 में नाबालिग लड़की से रेप के संगीन मामले में दिसंबर 2018 से जेल में बंद हैं. वहीं, प्रभुनाथ सिंह और विजय कृष्ण पर भी हत्या के मामले दर्ज हैं, और आनंद मोहन गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी (डीएम) जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में जेल में बंद हैं
दागी माननीयों को क्यों मिलती है पेंशन?
ऐसे में सवाल उठता है कि जब नौकरी करने वालों को भ्रष्टाचार के मामलों में सजा होने पर सारी सुविधाओं से हाथ धोना पड़ता है तो जनप्रतिनिधियों को ये विशेषाधिकार क्यों है? सजा होने के बाद भी आखिर क्यों उन्हें पेंशन और दूसरी सुविधाएं दी जाती हैं. आखिर क्यों ऐसे दागी जनप्रतिनिधियों पर जनता के टैक्स का पैसा खर्च किया जाता है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एतराज़ नहीं
तमाम सवालों के बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ऐसा नहीं मानते. उनका कहना है कि सजायाफ्ता जनप्रतिनिधियों को लेकर अलग कानून है और पेंशन की अलग प्रक्रिया है. इन दागी जनप्रतिनिधियों को इसी के तहत पेंशन मिलती है. सिर्फ सीएम नीतीश कुमार ही नहीं, बल्कि पूर्व बिहार विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी का भी यही मानना है. वो कहते हैं कि ऐसे दागी जनप्रतिनिधियों को नियमों के तहत ही पेंशन मिल रही है. उनका यह भी मानना है कि ऐसी याचिकाएं आए दिन दाखिल होती रहती हैं ऐसे में इनका कोई मतलब नहीं है.
क्या है विधायकों का पेंशन तय करने का नियम?
विधायकों को एक तय नियम के अनुसार पेंशन मिलती है. पूर्व विधायकों के लिए पेंशन तय करने का जो खास नियम है उसके तहत पांच साल के कार्यकाल में विधायक को पहले साल हर महीने 35 हजार रुपए मिलते हैं. इसके बाद हर साल तीन-तीन हजार रुपए जुड़ते जाते हैं. यानी जो जितने साल विधायक रहेंगे, उनकी पेंशन हर साल तीन हजार रुपये बढ़ती जाएगी. यही वजह है कि जगदीश शर्मा को 1.25 लाख रुपए पेंशन मिलती है.
Ritisha Jaiswal
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