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पटना (आईएएनएस)| शराबबंदी को लेकर बार-बार आलोचना का सामना कर रही बिहार सरकार ने एक रिपोर्ट जारी कर बड़ा दावा किया है। बिहार सरकार ने कहा है कि अप्रैल 2016 में शराबबंदी लागू होने के बाद से 1.82 करोड़ लोगों (जो राज्य की आबादी का लगभग 96 प्रतिशत है) ने शराब का सेवन छोड़ दिया है। मंगलवार शाम को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 99 फीसदी महिलाएं और 92 फीसदी पुरुष शराबबंदी के पक्ष में हैं। रिपोर्ट के अनुसार, जब भी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को शराबबंदी पर आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है तो उनकी सरकार इस पर सर्वे कराने के लिए एक संस्था को कॉन्ट्रैक्ट देती है। विभाग ने इस बार पंचायती राज विभाग, जीविका दीदी समूह और चाणक्य विधि विश्वविद्यालय को कार्यभार सौंपा है।
इससे पहले बिहार सरकार ने 2017 में आद्री और जगजीवन राम शोध संस्थान और 2022 में एएन सिन्हा शैक्षणिक संस्थान और चाणक्य विधि विश्वविद्यालय को कॉन्ट्रैक्ट दिया था।
यह तीसरी रिपोर्ट है और इसे संयुक्त रूप से शराब निषेध विभाग के आयुक्त बी कार्तिकेय धन जी, चाणक्य विश्वविद्यालय के डीन एसपी सिंह, जीविका दीदी विभाग के कार्यकारी निदेशक राहुल कुमार द्वारा जारी की गई है।
जीविका दीदी समूह के कार्यकारी निदेशक राहुल कुमार ने कहा, हमने बिहार के सभी 38 जिलों के 534 ब्लॉकों में सर्वेक्षण किया है और 1.15 लाख जीविका दीदियों ने सर्वेक्षण किया है। उन्होंने इन जिलों में रहने वाले 10 लाख लोगों से सवाल पूछे। उनके जवाबों के आधार पर हमने शराबबंदी पर रिपोर्ट तैयार की है।
कुमार ने कहा, रिपोर्ट चाणक्य लॉ इंस्टीट्यूट को स्कैनिंग के लिए भेजी गई थी। रिपोर्ट के विश्लेषण के दौरान हमने पाया कि अप्रैल 2016 से 1.82 करोड़ लोगों ने शराब पीना बंद कर दिया है। उन्होंने कहा, शराबबंदी के कारण बिहार में अपराध और सड़क दुर्घटनाओं में कमी आई है।
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