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बिहार: गया नीरा का बनेगा हब, तिलकुट के साथ ताड़ के पत्तों से बनेगी टोकरी
jantaserishta.com
17 March 2023 12:15 PM GMT
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गया (आईएएनएस)| शराबबंदी कानून लागू होने के बाद बिहार सरकार नीरा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत है। बिहार के गया में नीरा से अब बिस्किट और तिलकुट बनाने की तैयारी की जा रही है। ताड़ और खजूर की पत्तियों से टोकरी बनाने की भी योजना बनाई गई है।
बिहार में 2019 से नीरा का निर्माण करवाया जा रहा है। गया में पिछले वर्ष नीरा उत्पादन को बढ़ावा देते हुए पारंपरिक रूप से ताड़ी के उत्पादन में लगे परिवारों को वैकल्पिक रोजगार से जुड़ने का अवसर दिया गया।
जीविका सामुदायिक संगठनों के माध्यम से सर्वेक्षण कर जिले में जिले में 91 नीरा उत्पादक समूह का गठन किया गया। इन उत्पादक समूहों के माध्यम से लगभग 2500 से अधिक नीरा टैंपर को जोड़ा गया। जिले में 400 अस्थाई एवं स्थाई नीरा बिक्री केंद्रों के माध्यम से 11 लाख लीटर नीरा का उत्पादन एवं बिक्री की गई।
गया के जिला पदाधिकारी डॉ त्यागराजन एसएम ने आईएएनएस को बताया कि ताड़ी के विकल्प के रूप एक पोषक प्राकृतिक पेय नीरा के उत्पादन को बढ़ावा मिला। नीरा उत्पादन एवं बिक्री में जिला का स्थान राज्य में प्रथम रहा है।
उन्होंने बताया कि सतत जीविकोपार्जन योजना के माध्यम से पारंपरिक रूप से ताड़ी के उत्पादन एवं बिक्री में जुड़े अत्यंत निर्धन परिवारों को वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध कराया गया।
बताया जाता है कि गया में लगभग 14 लाख 57 हजार ताड़, 3 लाख 53 हजार खजूर एवं 2134 नारियल के पेड़ हैं। इन पेड़ों से नीरा उत्पादन किया जा सकता है।
त्यागराजन बताते हैं कि नीरा उत्पादन तथा नीरा से बनने वाले खाद्य पदार्थों का दायरा बढ़ाने और प्रभावी बनाने के लिए इससे जुड़े लोगों को प्रशिक्षित किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि जिले में छोटे-छोटे दुकानों तथा कोल्ड ड्रिंक से संबंधित दुकानों को भी नीरा के साथ जोड़ने की योजना बनाई गई है।
उन्होंने कहा कि जीविका द्वारा ताड़ के पत्तों से तैयार किए जा रहे टोकरी बनाने और उसका प्रयोग करने की भी तैयारी है। उन्होंने बताया कि गया का तिलकुट विश्व प्रसिद्ध है, अब यहां नीरा से तिलकुट बनाने की योजना है।
उन्होंने कहा कि तिलकुट का गया में बड़ा बाजार है। नीरा पूरी तरह पौष्टिक आहार है, नीरा में काफी स्वास्थवर्धक मिनिरल पाए जाते हैं।
जीविका के माध्यम से नीरा से तिलकुट निर्माण तथा नीरा से अन्य खाद्य पदार्थों के निर्माण हेतु प्रशिक्षण करवाया जाएगा। तिलकुट उत्पादक को कहा कि तिलकुट के बिक्री में जो पैकेजिंग दी जाती है, उसमे भी टोकरी का प्रयोग किया जाएगा। इससे प्लास्टिक का प्रयोग भी कम हो सकेगा।
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