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बिहार: कतरनी चावल के बाद भागलपुर अब अदरक और हल्दी की पैदावार में बनाएगा पहचान

jantaserishta.com
14 Nov 2022 9:52 AM GMT
बिहार: कतरनी चावल के बाद भागलपुर अब अदरक और हल्दी की पैदावार में बनाएगा पहचान
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भागलपुर (आईएएनएस)| बिहार के भागलपुर की पहचान अब तक आम और कतरनी चावल की रही है, लेकिन अब यहां के किसान ओल, अदरक और हल्दी का उत्पादन भी करेंगे। भागलपुर के करीब 300 एकड़ भूमि पर इनकी खेती का लक्ष्य रखा गया है। ओल, अदरक और हल्दी के बीज और उस पर मिलने वाली सब्सिडी के लिए निबंधन इसी माह शुरू होगा।
कृषि विभाग ने एकीकृत उद्यान विकास योजना के तहत इन तीन मौसमी पौधों की रोपनी के लिए 280 एकड़ में खेती का लक्ष्य रखा गया है। भागलपुर कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले साल भागलपुर जिले के पीरपैंती, कहलगांव और बिहपुर इलाके में प्रयोग के तौर पर कई किसानों ने इसकी खेती की थी। इसके बाद इसके पैदावार से होने वाले लाभ के बाद इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए अन्य क्षेत्रों में भी किसानों को जागरूक किया गया है।
उल्लेखनीय है कि बिहार में किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार बागवानी के साथ-साथ जमीन के अंदर पैदा होने वाले फसलों पर किसानों को अनुदान देने का निर्णय लिया है। कृषि विभाग के उद्यान निदेशालय ने यह पहल मानसून के पहले ज्यादा से ज्यादा बागवानी को बढ़ावा देने की उद्देश्य से की है। इसमें मुख्य रूप से आम, लीची और अमरूद के बाग में अदरक, हल्दी और ओल की खेती के लिए किसानों को कृषि विभाग के अधिकारी प्रेरित करेंगे। इससे किसानों की खेती पर लगने वाली लागत को कम करने के लिए अनुदान का प्रविधान किया गया है।
सरकार का मानना है कि ये तीनों फसल पेड़ के छांव में भी हो सकते हैं, इसलिए इन तीनों फसल का चयन किया गया है। इसके लिए किसानों को अलग से खाली खेतों में फसल लगाने की जरूरत नहीं होगी। आम और लीची के अलावा अमरूद के बगीचे या इमारती लकड़ी के बगीचे में पेड़ के अलावा जो जमीन होती है वह पूरे साल खाली पड़ी रहती है। इससे किसानों को कोई आमदनी नहीं होती है।
भागलपुर के सहायक निदेशक (उद्यान) विकास कुमार ने बताया कि जिले में तीन प्रखंडों पीरपैंती, कहलगांव और बिहपुर में योजना के तहत खेती होती है। अदरक के लिए 30 हेक्टेयर, ओल के लिए 50 हेक्टेयर और हल्दी के लिए 200 हेक्टेयर में खेती का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना में 50 फीसदी सब्सिडी मिलती है। इन फसलों की बुआई आम तौर पर अप्रैल-मई में होती है और सितंबर-अक्टूबर में उखाड़कर इसे उपयोग में लाया जाता है।
उन्होंने बताया कि बिहार राज्य पोषित एकीकृत उद्यान विकास योजना अभी राज्य के 12 जिलों में लागू है।
एक अनुमान के मुताबिक, आम और लीची के बगीचों में 40 प्रतिशत भूमि पर ही पेड़ लगे होते हैं, शेष 60 प्रतिशत जमीन खाली रहती है। खाली पड़ी जमीन पर ओल, अदरक और हल्दी की खेती होगी। इन फसलों को धूप कम मिलने पर भी उत्पादन पर असर नहीं पड़ता है। बिहार में डेढ़ लाख हेक्टेयर में आम, 33 हजार हेक्टेयर में लीची और 27 हजार हेक्टेयर में अमरूद की खेती होती है।
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