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बिहार: पटना में लगे सरस मेले में दिख रही आधी आबादी के आत्मनिर्भर बनने की झलक

jantaserishta.com
19 Dec 2022 11:55 AM GMT
बिहार: पटना में लगे सरस मेले में दिख रही आधी आबादी के आत्मनिर्भर बनने की झलक
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पटना (आईएएनएस)| बिहार की राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में लगने वाले सरस मेले में लोगों की भीड़ उमड़ रही है। 'उद्यमिता से सशक्तिकरण' की थीम के साथ इस सरस मेला में न केवल गांव और प्राचीन संस्कृति की झलक दिख रही बल्कि आत्निर्भरता को लेकर भी लोगों खासकर महिलाओं में एक जुनून दिख रहा।
इस मेला में बिहार समेत 19 राज्यों के स्वयं सहायता समूह और स्वरोजगारी अपने-अपने क्षेत्र के ग्रामीण शिल्प कलाकृतियां और व्यंजन को लेकर उपस्थित हैं।
बिहार सरस मेला, ग्रामीण विकास विभाग के तत्वाधान में बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति (जीविका ) द्वारा 15 दिसंबर से शुरू यह मेला 29 दिसंबर तक चलेगा।
ग्रामीण शिल्प को बाजार उपलब्ध करने के उदेश्य से आयोजित सरस मेला में ग्रामीण शिल्प और व्यंजनों के 489 स्टॉलों पर आगंतुकों की भीड़ उमड़ पड़ी है। इसमें 195 स्टॉल पर जीविका समूह की ग्रामीण उद्यमियों, 145 स्टॉल स्वरोजगारियों 38 स्टॉल विभिन्न विभाग, बैंक, संस्थान एवं अन्य राज्यों के आजीविका मिशन के 68 स्टॉल पर उत्पाद प्रदर्शनी, एवं बिक्री के साथ ही आगंतुकों को जागरूक करने के उद्देश्य से लगाये गए हैं।
स्टॉल और ओपन एरिया में आगंतुक ग्रामीण शिल्प और कलाकृतियों से रूबरू हो रहे हैं।
जीविका के सीईओ राहुल कुमार ने कहा कि जीविका द्वारा आयोजित बिहार सरस मेला अब राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित है। साथ ही सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है।
राज्यों की लोक संस्कृति के साथ गांव की मिठास लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। इस मेले में ग्रामीण शिल्प कलाओं के कद्रदान खूब उमड़ रहे हैं। रविवार को लोगों की भीड़ खूब उमड़ी। एक अनुमान के मुताबिक,तीन दिनों के दौरान लोगों ने एक करोड़ 50 लाख रुपये की खरीदारी की।
29 दिसंबर तक चलने वाले मेले में सहारनपुर के लकड़ी के बने टेलीफोन, पद्मश्री किसान चाची के आचार, मणिपुर के कउना घास से बनी कलाकृतियां लोगों को खूब भा रही है।
इसके आलावा टिकुली, सिक्की, बैम्बू आर्ट, मधुबनी आर्ट, हस्तकरघा से निर्मित सामाग्री और गृह सज्जा के एक से बढ़कर एक सामान यहां लाए गए हैं। मेले में लगे स्टॉलों की ओर देखे तो अधिकांश स्टालों की जिम्मेदारी आधी आबादी ने संभाल रखी है।
अचार का स्टॉल लगाई महिला यशोदा बताती है कि ग्रामीण परिवेश और परंपरागत रूप से लगाए गए अचार की मांग बराबर रहती है। बिहार के अचार पहले से ही प्रसिद्ध हैं।
लकड़ी से खिलौने बनाने के लिए प्रसिद्ध सहारनपुर से भी लकड़ी के खिलौने इस मेले में आने वाले लोगों के लिए पसंदीदा बना हुआ है। बच्चे इन खिलौने की ओर खूब आकर्षित हो रहे हैं।
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