भारत
मनरेगा: केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का बड़ा बयान, राज्यों से कही यह बात
jantaserishta.com
8 Aug 2022 4:08 AM GMT
x
न्यूज़ क्रेडिट: हिंदुस्तान
नई दिल्ली: मनरेगा को लेकर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह अकसर यह कहते हैं कि कांग्रेस सरकार के दौरान मनरेगा में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होता था जबकि मोदी सरकार ने ना केवल मनरेगा के बजट को कई गुना बढ़ाया, बल्कि इसके साथ ही सरकार इस पूरी योजना में पारदर्शिता भी लेकर आई है। इसी बीच हाल ही में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राज्यों को एक पत्र लिखकर चेतावनी दी है कि मनरेगा के कार्यान्वयन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाए, नहीं तो इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
दरअसल, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने बताया है कि उन्होंने मनरेगा के तहत दिए जा रहे फंड के इस्तेमाल और इस पूरी स्कीम के क्रियान्वयन में पारदर्शिता का मुद्दा बार-बार उठाया है। इकॉनोमिक टाइम्स से बातचीत में उन्होंने कहा कि यह राज्यों के लिए आखिरी चेतावनी है। अगर वे अभी भी प्रक्रियाओं का पालन नहीं करते हैं, तो हम अक्टूबर में मनरेगा बजट को उनके श्रम बजट से जोड़ने के लिए मजबूर होंगे।
असल में रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर मनरेगा के कार्यान्वयन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने और प्रक्रियाओं का पालन करने का अनुरोध किया है। मनरेगा में किसी तीसरे पक्ष या सामाजिक लेखा परीक्षा इकाई के स्वतंत्र निदेशक द्वारा किए जाने वाले कार्य के सोशल ऑडिट का प्रावधान है। मंत्रालय ने राज्यों से एक स्वतंत्र निदेशक नियुक्त करने और सभी ग्राम पंचायतों के लिए सोशल ऑडिट करने का अनुरोध किया है।
इतना ही नहीं देश के सभी जिलों में शिकायत निवारण के लिए एक लोकपाल नियुक्त करने का भी प्रावधान है और केंद्र सरकार लोकपाल के मासिक वेतन का भुगतान भी करती है। गिरिराज सिंह ने कहा कि जिन जिलों में मनरेगा का काम चल रहा है उनमें से कुछ में ही लोकपाल की नियुक्ति हुई है। अभी ऐसे जिले तमाम जिले हैं जहां कोई नियुक्ति नहीं हुई है।
मनरेगा के तहत श्रमिकों की उपस्थिति रिकॉर्ड करने के लिए बकायदा एक प्रणाली की व्यवस्था की गई है। केंद्र सरकार की सलाह के अनुसार उनकी तस्वीर को जियोटैग करके एक ऐप पर अपलोड किया जाता है। मंत्रालय ने पांच अगस्त को लिखे पत्र में राज्यों से श्रमिकों की जियो-टैगिंग उपस्थिति प्रणाली का पालन करने को कहा है। इसके अलावा सरकारी अधिकारियों को एक महीने में कम से कम दस कार्यस्थलों का दौरा करना अनिवार्य है और उन्हें ऐप में साइट से अपनी उपस्थिति दर्ज करने के लिए कहा गया है।
मंत्रालय ने राज्यों से हर पंचायत में एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाने को कहा है जिसमें सरकारी अधिकारियों के साथ सांसद, विधायक, सरपंच जैसे अन्य जनप्रतिनिधि होंगे। यह ग्रुप जमीनी स्तर पर योजना के क्रियान्वयन पर नजर रखेगा।
jantaserishta.com
Next Story