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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को Eastern Economic Forum-2022 को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष पर बात की. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के इस युद्ध दुनियाभर में सप्लाई चेन पर असर पड़ा है. इसे सुलझाने की जरूरत है और बातचीत के जरिए ऐसा संभव है.
पीएम मोदी ने ईस्टर्न इकोनोमिक फोरम (EEF) की 7वीं बैठक को संबोधित करते हुए पूरी दुनिया को आर्थिक मंत्र देते हुए कहा कि यह फोरम सहयोग का प्रमुख मंच है. रूस-यूक्रेन युद्ध से सप्लाई चेन पर जो असर हुआ है, ये उसे दुरुस्त करने का जरिया बन सकता है.
उन्होंने कहा कि आज के वैश्वीकृत दुनिया में विश्व के किसी एक हिस्से की घटनाएं पूरी दुनिया पर असर डालती हैं. यूक्रेन संघर्ष और कोविड महामारी से ग्लोबल सप्लाई चेन पर हुए प्रभाव ने खाद्यान्न, उर्वरक, और ईंधन की कमी को लेकर विकासशील देशों के लिए चिंता बढ़ाने का काम किया है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि साल 2019 में मुझे इस फोरम में रूबरू हिस्सा लेने का मौका मिला था. उस समय हमने भारत की एक्ट फार ईस्ट (Act Far-East) नीति की घोषणा की थी. इसके परिणामस्वरूप रशियन फार ईस्ट के साथ विभिन्न क्षेत्रों में भारत का सहयोग बढ़ा है. उन्होंने आगे कहा कि आज यह नीति भारत और रूस की विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी की एक प्रमुख स्तम्भ बन गई है. उन्होंने आगे कहा कि भारत आर्कटिक विषयों पर रूस के साथ अपनी भागीदारी को मजबूत करने के लिए इच्छुक है.
'Act Far-East' नीति के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ऊर्जा के क्षेत्र में भी सहयोग की अपार संभावनाएं हैं. ऊर्जा के साथ-साथ, भारत ने फार्मा और हीरों के क्षेत्रों में भी Russian Far East में महत्वपूर्ण निवेश किए हैं. पीएम मोदी ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि भारतीय प्रतिभा ने विश्व के कई साधन संपन्न क्षेत्रों के विकास में योगदान दिया है. ऐसे में पूरा विश्वास है भारीतयों की यह प्रतिभा रशियन फार ईस्ट के विकास में अहम भूमिका निभा सकती है.
प्रधानमंत्री ने हाल ही में अनाज और फर्टिलाइजर के सुरक्षित निर्यात संबंधी सहमति का स्वागत करते हुए कहा कि कनेक्टिविटी संबंधों के विकास का जरूरी हिस्सा है. अपने संबोधन के अंत में पीएम मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को थैंक्यू कहा.
गौरतलब है कि ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम विश्व अर्थव्यवस्था के प्रमुख मुद्दों, क्षेत्रीय एकीकरण, औद्योगिक तथा तकनीकी क्षेत्रों के विकास के साथ-साथ रूस और अन्य देशों के समक्ष मौजूद वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है. इसकी स्थापना 2015 में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने की थी.
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