भारत
भाजपा का बड़ा बयान, कहा- द्रौपदी मुर्मू उद्धव ठाकरे से मुलाकात के लिए 'मातोश्री' नहीं जाएंगी
jantaserishta.com
14 July 2022 7:35 AM GMT
x
न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने साफ किया है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की ओर से राष्ट्र्पति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू उद्धव ठाकरे से मुलाकात के लिए 'मातोश्री' नहीं जाएंगी. उधर, ये भी कहा जा रहा है कि उद्धव गुट के शिवसेना के सांसद लगातार भाजपा के साथ इस मसले पर मध्यस्थता कर रहे हैं. मध्यस्थता इस बात को लेकर हो रही है कि उद्धव ठाकरे से मुलाकात के लिए द्रौपदी मुर्मू जाएंगी या नहीं.
बता दें कि दो दिन पहले महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राष्ट्रपति चुनाव में शिवसेना की तरफ से द्रौपदी मुर्मू को समर्थन का ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि शिवसेना के सांसदों ने मुझ पर कोई दबाव नहीं डाला, लेकिन उन्होंने अनुरोध किया. ऐसे में उनके सुझाव को देखते हुए हम राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने जा रहे हैं. उद्धव ने आगे कहा कि हमें खुशी है कि एक अनुसूचित जनजाति की महिला राष्ट्रपति बन रही हैं.
सोमवार को उद्धव ठाकरे वाले शिवसेना गुट की बैठक हुई थी. इसमें पार्टी के 19 में से सिर्फ 11 सांसद पहुंचे थे. इनमें से ज्यादातर सांसदों ने उद्धव से अपील की थी कि वे राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करें. वहीं संजय राउत का कहना था कि शिवसेना को यशवंत सिन्हा का सपोर्ट करना चाहिए. इसपर मामले पर आखिरी फैसला उद्धव ठाकरे को ही लेना था.
इधर, महा विकास अघाड़ी के सहयोगी दल एनसीपी ने कहा है कि शिवसेना ने एनडीए उम्मीदवार का समर्थन करने का फैसला किया है, वो चाहते हैं कि राज्य में उनका गठबंधन बरकरार रहे. एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि हर राष्ट्रपति चुनाव में शिवसेना ने अपनी पसंद बनाई है. ये एनडीए का समर्थन नहीं है. कई निर्णय व्यक्तिगत पार्टी स्तर पर लिए जाते हैं, जहां गठबंधन सहयोगियों को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. वहीं, एनसीपी ने ये भी कहा है कि शिवसेना ने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा करने से पहले चर्चा नहीं की थी.
बता दें कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा है कि उनकी पार्टी NDA की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करेगी. शिवसेना बिना किसी दबाव के मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा कर रही है. उनके इस फैसले के बाद कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं. कहा जा रहा है कि विधायकों के बाद अब शिवसेना सांसदों के भी उद्धव ठाकरे को छोड़कर जाने का खतरा बना हुआ है. इसलिए ऐसा कदम उठाया है. बीते सोमवार को उद्धव ठाकरे ने सांसदों की बैठक बुलाई थी. इसमें राष्ट्रपति चुनाव को लेकर चर्चा हुई. शिवसेना के पास 18 सांसद हैं, लेकिन बैठक में 10 ही पहुंचे थे. चर्चा ये भी है कि उद्धव ठाकरे ने पार्टी की लड़ाई को ध्यान में रखते हुए गठबंधन के साथी एनसीपी और कांग्रेस के खिलाफ जाकर मजबूरी में फैसला लिया है.
देश में 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव होना है और उसी दिन से संसद का मॉनसून सत्र भी शुरू हो रहा है. ऐसे में चुनाव के बाद 21 जुलाई को देश को नया राष्ट्रपति मिलेगा. चुनाव में वोटिंग के लिए ख़ास इंक वाला पेन इस्तेमाल किया जाएगा. वहीं अपना वोट देने के लिए 1,2,3 लिखकर पसंद बतानी होगी. लेकिन चुनाव में पहली पसंद नहीं बताने पर वोट रद्द हो जाएगा.
jantaserishta.com
Next Story