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बीजेपी को बड़ा झटका...पूर्व केंद्रीय मंत्री ने पार्टी से दिया इस्तीफ़ा

Admin2
18 Nov 2020 4:45 AM GMT
बीजेपी को बड़ा झटका...पूर्व केंद्रीय मंत्री ने पार्टी से दिया इस्तीफ़ा
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महाराष्ट्र की सियासत में इन दिनों राजनीतिक हलचल तेज है. पूर्व मंत्री एकनाथ खड़से के बीजेपी छोड़कर एनसीपी का दामन थामने के अभी एक महीने भी पूरे नहीं हुए कि पार्टी को दूसरा बड़ा झटका लगा है. पूर्व केंद्रीय मंत्री जयसिंह राव गायकवाड़ ने उपेक्षा को वजह बताते हुए बीजेपी से इस्तीफा दे दिया है. जयसिंह राव गायकवाड़ महाराष्ट्र के बीड से बीजेपी के टिकट पर तीन बार सांसद रहे चुके हैं. केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री के रूप में कार्य कर चुके हैं और वे दो बार एमएलसी भी रहे हैं. गायकवाड़ का कहना है कि 10 साल से ज्यादा से पार्टी में उनकी उपेक्षा हो रही थी. वो सांसद या विधायक बनने के बजाय पार्टी को मजबूत करने के लिए काम करना चाहते थे, लेकिन पार्टी उनको जिम्मेदारी देने की बजाय नजरअंदाज कर रही थी. इसलिए पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. हालांकि, वो किस पार्टी में शामिल होंगे इस बात का खुलासा नहीं किया.

एकनाथ खड़से की तरह जयसिंह गायकवाड़ भी उत्तर महाराष्ट्र के इलाके से आते हैं. इतना ही नहीं दोनों महाराष्ट्र में बीजेपी के दिग्गज नेता रहे स्वर्गीय गोपीनाथ मुंडे के बेहद करीबी रहे हैं. मराठवाड़ा में बीजेपी की सियासी जमीन मजबूत करने में इन नेताओं की अहम भूमिका रही है. बीजेपी में जारी उठापटक के बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार इसी सप्ताह उत्तर महाराष्ट्र के दौरे पर निकल रहे हैं, जिसके राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं.

दरअसल, एकनाथ खड़से ने पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की कार्यशैली से नाराज होकर बीजेपी को अलविदा कहा था और एनसीपी की सदस्यता ग्राहण की थी. वहीं, अब जयसिंह गायकवाड़ के पार्टी छोड़ने के बाद उत्तर महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए सियासी तौर पर गहरा झटका है. इस बीच शरद पवार का 20-21 नवंबर को उत्तर महाराष्ट्र के दौरा प्रस्तावित है. इस दौरे में वो जलगांव, धुले और नंदुरबार जिलों के कार्यकर्ताओं के साथ संवाद करेंगे.

एकनाथ खड़से के एनसीपी में शामिल होने के बाद शरद पवार पहली बार जलगांव पहुंचेंगे. खड़से इसी जलगांव जिले से आते हैं. एक दौर में एकनाथ खड़से उत्तर महाराष्ट्र में बीजेपी का ओबीसी चेहरा हुआ करते थे. एकनाथ खड़से बीजेपी के पुराने कार्यकर्ता रहे हैं. वह 6 बार पार्टी के टिकट से विधायक रह चुके हैं.

ऐसे में खड़से को एनसीपी ने राज्यपाल कोटे से विधान परिषद भेजेने के लिए उनके नाम को प्रस्तावित कर भेजा है. इसे शरद पवार का महाराष्ट्र के 40 फीसदी ओबीसी वोटरों को लुभाने का दांव माना जा रहा है, जो बीजेपी का मजबूत वोटबैंक माना जाता है. पवार की जलगांव यात्रा उसी राजनीति से जोड़कर देखी जा रही है. ऐसे में गायकवाड़ के भी बीजेपी छोड़ने के बाद पवार का उसी इलाके में दौरा होना काफी महत्वपूर्ण हो गया है.

दरअसल, महाराष्ट्र में ओबीसी का प्रतिनिधित्व करने के लिए बीजेपी के पास तीन बड़े चेहरे थे. इनमें गोपीनाथ मुंडे, विनोद तावड़े और एकनाथ खड़से प्रमुख थे. मुंडे की कार दुर्घटना में मौत हो गई, जिसके बाद उनकी बेटी पंकजा मुंडे ने प्रदेश की राजनीति में एंट्री की और दो बार विधायक रहीं. वहीं, खड़से अब बीजेपी छोड़ चुके हैं और विनोद तावड़े और पंकजा मुंडे को हाल ही में राष्ट्रीय संगठन में जगह मिली है. इसके बाद महाराष्ट्र की राजनीति से फिलहाल वो दूर हो गए हैं. ऐसे में शरद पवार को ओबीसी समुदाय को साधने का राजनीतिक मौका नजर आ रहा है.

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