तुस्याना भूमि घोटालों पर जल्द खुलेंगे बड़े बड़े राज़, घोटालेबाजों ने सबको अपने लपेटे में लिया
नॉएडा क्राइम न्यूज़: ग्रेटर नोएडा के तुस्याना गांव में हुए भूमि घोटाले की परते खुलने लगी हैं। कोतवाली में दर्ज एफआईआर में बताया गया है कि राजेंद्र सिंह मकोड़ा, ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के पूर्व जीएम रविन्द्र तोंगड और सफेदपोश नेता के भतीजे समेत अन्य लोगों ने जिस 175 बीघा जमीन का मुआवजा उठाया, वह भूमि तहसील के राजस्व अभिलेखों में बंजर और झाड़ियां दर्ज है। मतलब, इस पर राज्य सरकार और ग्राम सभा का मालिकाना हक है।
पुराने रिकॉर्ड में जमीन सरकारी है, नए रिकॉर्ड में हुई छेड़छाड़: तुस्याना गांव में पुरानी चकबंदी वर्ष 1960 में हुई थी। उस वक्त राजस्व रिकॉर्ड में पुराने खसरा नंबर 1240, 1245, 1241, 1244, 1246, 1252, 1242, 1243 और 1253 मिलजुमला नंबर थे। यही नहीं पुरानी चकबंदी के आकार पत्र-41 और आकार पत्र-45 में भी यह जमीन बंजर दर्ज थी। यह जमीन असंक्रमणीय भूमि रही है। जिसे विक्रय करने का किसी को भी अधिकार नहीं है। केवल संक्रमणीय भूमिधर ही जमीन को विक्रय कर सकता है लेकिन राजेंद्र सिंह ने फर्जी तरीके से पावर ऑफ अटार्नी तैयार कीं। सरकारी जमीन हथियाने के लिए नए रिकॉर्ड में बड़े पैमाने पर जालसाजी की गई है।
फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए हड़पी अरबों की जमीन: राजेन्द्र पुत्र महताब ने श्वेता पत्नी मनोज पुत्र राजेंद्र, मधु सिंह पुत्री जीएस कंबोज पत्नी दीपक पुत्र राजेंद्र, रविंद्र सिंह पुत्र रामदास निवासी आन्नदपुर, गीता पत्नी राजेंद्र कुमार झंडेवालान एक्सटेंशन नई दिल्ली इस जालसाजी में शामिल रहे हैं। फर्जी तरीके से बनवाई गई पावर ऑफ अटार्नी को दादरी के सब रजिस्ट्रार के यहां रजिस्टर्ड दर्शाया गया है। जब पावर अटार्नी की जांच कराई गई तो दादरी सब रजिस्ट्रार ने 4 फरवरी 2020 को लिखित जवाब दिया। इस पावर ऑफ अटॉर्नी को पूरी तरह से नकार दिया। लिहाजा यह पावर ऑफ अटार्नी पूरी तरह से फर्जी हैं।
अथॉरिटी के साथ अदालत के साथ धोखाधड़ी की: फर्जी पावर ऑफ अटार्नी से ही जमीन की खरीद-फरोख्त दिखाई गई। न्यायालय और अथॉरिटी को धोखा देकर फर्जी तरीके से सरकारी बंजर भूमि का मुआवजा उठाया गया है। मुआवजे के साथ ही जमीन अधिग्रहण के बदले में मिलने वाला 6 प्रतिशत आबादी का प्लॉट भी ले लिया है। बाद में यह प्लॉट तुस्याना से उठाकर नॉलेज पार्क-1 में सूरजपुर-कासना मैन रोड पर लगा दिया गया। अथॉरिटी के लैंड और प्लानिंग विभाग के अधिकारियों से सांठगांठ थी। तुस्याना में इस प्लॉट की कीमत लाखों में थी, वहीं सूरजपुर-कासना रोड पर नॉलेज पार्क-1 में लग जाने पर प्लॉट की कीमत करोड़ों रुपये हो गई।