दिल्ली। गर्मी बढ़ने के साथ ही बिजली की मांग बढ़ती जा रही है, वहीं दूसरी तरफ इसकी उपलब्धता में भारी कमी देखी जा रही है, जिसकी वजह से बिजली संकट गहराता जा रहा है. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, झारखंड समेत देश के कई राज्यों में बिजली के संकट को देखते हुए कटौती शुरू हो गई है जिससे लोगों को भारी परेशानी हो रही है. सबसे अधिक आबादी वाले उत्तर प्रदेश में कोयले का स्टॉक भी जरूरत के अनुपात में महज 26 फीसदी ही बचा है जिससे बिजली संकट और गहराने का खतरा बढ़ गया है.
यूपी की बात करें तो बिजली संकट के बीच प्रदेश के थर्मल पावर स्टेशनों के पास जरूरत के अनुपात में एक चौथाई कोयले का ही स्टॉक बचा है. आधिकारिक सूत्रों की मानें तो अप्रैल के पहले पखवाड़े में भीषण गर्मी के कारण बिजली की मांग बढ़ गई है. अप्रैल के महीने में बिजली की मांग 38 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. वहीं, प्रदेश सरकार के स्वामित्व वाले यूपी स्टेट विद्युत उत्पादन निगम के पास मानकों के मुताबिक जितने कोयले का स्टॉक रहना चाहिए, उसका केवल 26 फीसदी ही बचा है.
जानकारी के मुताबिक, यूपी के अनपरा थर्मल पावर प्रोजेक्ट की क्षमता 2630 मेगावॉट बिजली के उत्पादन की है. सामान्य रूप से यहां 17 दिन के कोयले का स्टॉक रहता है. हरदुआगंज में 1265 मेगावॉट, ओबरा में 1094 मेगावॉट और परिछा में 1140 मेगावॉट बिजली के उत्पादन की क्षमता है. मानकों के मुताबिक यहां 26 दिन के कोयले का स्टॉक रहना चाहिए था लेकिन ऐसा है नहीं. अनपरा में 5 लाख 96 हजार 700 टन कोयले का स्टॉक रहना चाहिए लेकिन यहां 3 लाख 28 हजार 100 टन कोयला ही स्टॉक में है. हरदुआगंज में भी 4 लाख 97 हजार टन की जगह 65 हजार 700 टन, ओबरा में 4 लाख 45 हजार 800 टन की जगह 1 लाख 500 टन कोयला ही स्टॉक में है. परिछा में 4 लाख 30 हजार 800 टन की जगह 12 हजार 900 टन कोयला ही उपलब्ध है. सभी चार थर्मल पावर प्लांट्स में 19 लाख 69 हजार 800 टन कोयले का स्टॉक रहना चाहिए था लेकिन है सिर्फ 5 लाख 11 हजार 700 टन. इस संबंध में ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने आजतक से बात करते हुए कहा कि सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक देश के कुल 150 थर्मल पावर प्लांट में से 81 घरेलू कोयले का उपयोग कर रहे हैं. यहां स्थिति खराब है. प्राइवेट सेक्टर के 54 में से 28 पावर प्लांट में भी हालात चिंताजनक हैं.
बताया जाता है कि यूपी के पास बस सात दिन का स्टॉक बचा है. हरियाणा के पास आठ, राजस्थान के पास 17 दिन का कोयला ही स्टॉक में बचा है. आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड और छत्तीसगढ़ में भी कमोबेश यही हालात हैं. रेलवे के पास रैक की कमी ने भी संकट को और बढ़ा दिया है. रेलवे के पास इस समय केवल 412 रैक ही हैं जिसकी वजह से कोयले की ढुलाई में तेजी नहीं आ पा रही. यूपी के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने अधिकारियों के साथ बैठक कर बिजली संकट पर मंथन किया है.
देश में बिजली की मांग बढ़ने पर कोयले की कमी के कारण संकट न गहराए, इसके लिए ऊर्जा मंत्रालय ने कोयला का आयात बढ़ाने की मांग की है. यूपी थर्मला पावर प्लांट के लिए विदेशों से कोयले की खरीद पर भी सवाल उठ रहे हैं. राज्य विद्युत नियामक आयोग ने टेंडर की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही विद्युत उत्पादन निगम से जवाब मांगा है. आयोग ने ये जवाब राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद की याचिका पर तलब किया है जिसमें विदेशी कोयले के आयात को लेकर सवाल उठाए गए हैं.
यूपी के ललितपुर की बजाज पॉवर प्लांट में तीन इकाइयों से 1980 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होता है. मानकों के मुताबिक पावर प्लांट में 29 दिन का कोयला स्टॉक में होना चाहिए लेकिन यहां बस चार दिन का ही स्टॉक शेष बचा है. इस पावर प्लांट की तीनों इकाइयों के संचालन के लिए हर रोज छह से सात रैक कोयले की जरूरत है लेकिन महज तीन से चार रैक कोयले की आपूर्ति ही हो पा रही है.
ऊर्जा प्रदेश के रूप में पहचान रखने वाले उत्तराखंड में भी बिजली की किल्लत बढ़ गई है. प्रदेश में 15 मिलियन यूनिट के मुकाबले बमुश्किल पांच मिलियन यूनिट बिजली ही उपलब्ध हो पा रही है. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की कटौती जारी है .और अब छोटे कस्बों में भी बिजली कटौती की जा सकती है. कुल डिमांड फिर 44 मिलियन यूनिट के आसपास पहुंच चुकी है. यूपीसीएल को बाजार से 15 मिलियन यूनिट बिजली की जरूरत है. बिजली संकट को लेकर कांग्रेस सड़क पर उतर आई है और भीषण गर्मी के बीच पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने धरना भी दिया. इस मामले पर सियासत तेज हुई तो सरकार एक्शन में आई. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों के बैठक कर समस्या के जल्द समाधान के निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से बिजली संकट 24 घंटे में दूर करने के लिए कहा है.
बिजली संकट को लेकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अधिकारियों के साथ तीन घंटे तक मैराथन बैठक की. महाराष्ट्र को 25 हजार मेगावॉट बिजली की जरूरत है जिसके मुकाबले प्रदेश को 21 से 22 हजार मेगावॉट बिजली ही मिल पा रही है. राज्य सरकार ने सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी एक्ट और MERC एक्ट के तहत अडानी पावर (APML) और JSW पावर को नोटिस भेजा है. बिजली कटौती शुरू हो गई है जिसके खिलाफ नागपुर में लोगों ने लालटेन लेकर विरोध-प्रदर्शन किया. ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने लोगों से सतर्कता के साथ बिजली का उपयोग करने की अपील की है.
महाराष्ट्र में बिजली संकट को लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि देश के कई राज्य बिजली संकट से गुजर रहे हैं. गुजरात, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश में भी बिजली की किल्लत है. उन्होंने इस संकट के दो कारण बताते हुए कहा कि एक वजह ये है कि बिजली की खपत काफी अधिक बढ़ गई है. खेती से संबंधित कार्यों के लिए भी इस समय बिजली की मांग हर रोज बढ़ रही है. उन्होंने दूसरी वजह कोयले की कमी को बताया. शरद पवार ने कहा कि बिजली संकट से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर रास्ता निकालना होगा. उन्होंने ये भी कहा कि ये संकट बेमौसम बारिश की वजह से भी कुछ दिनों में धीरे-धीरे बदलेगा. बिजली संकट दो महीने से अधिक नहीं चलेगा.
पंजाब में बिजली संकट को लेकर नवजोत सिंह सिद्धू के नेतृत्व में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने राजपुरा थर्मल पावर प्लांट के बाहर धरना दिया. नवजोत सिंह सिद्धू ने पटियाला के राजपुरा थर्मल पावर प्लांट के बाहर धरने के दौरान आम आदमी पार्टी की सरकार के खिलाफ जमकर हमला बोला और कहा कि केजरीवाल 24 घंटे बिजली की बात करते थे, अब तीन घंटे आती है. छत्तीसगढ़ में भी बिजली का संकट गहराता नजर आ रहा है.
झारखंड़ विद्युत निगम लिमिटेड ने बिजली संकट देखते हुए अपील की है कि शाम 7 से 11 बजे रात तक लोग AC, समेत ज्यादा बिजली खर्च होने वाले इलेक्ट्रिक आइटम ना चलाएं. जानकारी के मुताबिक राज्य में दिन के समय 1200 से 1400 मेगावॉट, जबकि शाम को 2200 से 2400 मेगावॉट के बीच बिजली की जरूरत होती है.
वहीं, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि इस समय बिजली की उपलब्धता की पूरे देश में कमी है. हम लोगों ने आज विभाग को अतिरिक्त धन उपलब्ध कराया है जिससे पहले से ही बिजली खरीद कर आपूर्ति शुरू की जा सके. उन्होंने कहा कि बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कार्य शुरू कर दिया गया है. बिजली कटौती को लेकर सीएम सोरेन ने कहा कि इसके समाधान के लिए कदम उठाए जा रहे हैं.