विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक टेड्रोस अधनोम गेब्रेयेसस ने मंगलवार को कहा कि मंकीपॉक्स का वैश्विक प्रकोप स्पष्ट रूप से असामान्य और चिंताजनक है. गेब्रेयेसस ने अगले सप्ताह एक आपातकालीन समिति की बैठक बुलाई है. इस बैठक में यह आकलन किया जाएगा कि क्या मंकीपॉक्स का यह प्रकोप अंतरराष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल है या नहीं. घेब्रेयसस ने मीडिया ब्रीफिंग में बताया कि इस साल अब तक डब्ल्यूएचओ को 39 देशों से मंकीपॉक्स के 1,600 से अधिक पुष्ट और लगभग 1,500 संदिग्ध मामलों की जानकारी दी गई है.
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ने बताया कि 39 देशों में सात ऐसे देश हैं, जहां मंकीपॉक्स के मामले वर्षों से सामने आ रहे हैं, जबकि 32 नए प्रभावित देश हैं. इसके अलावा, इस साल अब तक पहले से प्रभावित देशों से 72 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि नए प्रभावित देशों में अभी तक किसी की मौत नहीं हुई है. हालांकि, डब्ल्यूएचओ ब्राजील से मंकीपॉक्स से संबंधित एक मौत की सूचना को सत्यापित करने का प्रयास कर रहा है।
अंतरराष्ट्रीय चिंता का एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (PHEIC) डब्ल्यूएचओं द्वारा एक असाधारण घटना की औपचारिक घोषणा है. WHO जिस बीमारी को PHEIC घोषित करता हो उससे अन्य देश अलर्ट हो जाते हैं. ब्रिटेन में मंकीपॉक्स के करीब 500 मंकीपॉक्स के मामले सामने आ चुके हैं. ब्रिटेन की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी के मुताबिक अधिकांश समलैंगिक पुरुष इस बीमारी की चपेट में हैं. ब्रिटेन के आंकड़ों के अनुसार, अब तक 99 प्रतिशत संक्रमण के मामले पुरुषों में हुए हैं, जिनमें ज्यादातर मामले लंदन में हैं. ब्रिटेन के बाद स्पेन, जर्मनी और कनाडा में इसके मामले सामने आ रहे हैं.
उत्तर प्रदेश में भले ही इस संक्रमण को लेकर अभी कोई भी मरीज नहीं है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग बीमारी से लड़ने के लिए पूरी तरह से अलर्ट है. जिसके तहत पीएचसी-सीएचसी के प्रभारियों को सतर्कता बरतते हुए मरीज मिलने पर तुरंत ही सूचना देने के निर्देश दिए गए हैं. प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेज में 10 बेड का वार्ड बनाने के भी निर्देश जारी किए गए हैं, ताकि मरीज मिलने पर तत्काल प्रभाव से भर्ती कर इलाज किया जा सके.
अगर हम अधिकारिक तौर पर आंकड़ों की बात करें तो विश्वभर में मंकीपॉक्स के 100 से ज्यादा संदिग्ध और पुष्ट मामले मिले हैं. दूसरी ओर कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस जैसे देशों में इस बीमारी के पॉसिबल सैंपल की जांच इस वक्त की जा रही है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस बीमारी में मृत्यु दर 10 फीसदी तक होने की संभावना है.
एलएनजेपी के डायरेक्टर डॉ. सुरेश कुमार बताते हैं कि मंकीपॉक्स स्मॉल पॉक्स से अलग है. मंकीपॉक्स एक अति दुर्लभ बीमारी है जो जानवरों से मनुष्य में फैलने वाले वायरस के कारण होती है.
दरअसल मंकीपॉक्स का जो वायरस है वह एक डबल स्ट्रैंडेड डीएनए वायरस है जिसका संबंध ऑर्थो पॉक्सवायरस जींस से है. वैसे इस वायरस का परिवार पॉक्सविरेडे परिवार से संबंध रखता है. शोधकर्ताओं का यह मानना है कि यह वायरस चूहों, गिलहरियों, बुश मीट, गेम पिया पाउच वाले चूहे में पाया जाता है.
हालांकि अभी भी इस पर शोध जारी है लेकिन प्राथमिक रूप से यह इन्हीं जानवरों की प्रजातियों में पाया जाता है. वैसे देखा जाए तो यह बीमारी आसानी से फैलती है. इसका संक्रमण दर भी काफी तेज है, इसीलिए यदि किसी व्यक्ति को मंकीपॉक्स हो तो उससे 2 गज दूरी बनाए रखें और मास्क अवश्य पहनें.
डॉ. सुरेश कुमार बताते हैं कि यह संक्रमण आमतौर पर 5 से 13 दिनों तक रहता है लेकिन इसकी अवधि 5 से 21 दिनों तक की भी हो सकती. यदि हम इसके लक्षणों की बात करें तो बुखार आना, तेज सिर दर्द होना, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी महसूस करना, लिंफ नोड्स की सूजन माने जाते हैं. इसके साथ ही मंकीपॉक्स में स्किन रैशेज की समस्या भी होती है और चेहरे और हाथ पांव पर ब्लिस्टर्स आने लगते हैं. इसमें चेहरे और हाथ के लिए और पैरों के तलवे ज्यादा प्रभावित होते हैं.
हालांकि, इस बीमारी का कोई प्रमाणिक इलाज नहीं पाया गया है. डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि इस बीमारी से बचने के लिए जरूरी है कि आप अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें. अपने आसपास साफ-सफाई यानि हाइजीन वाला वातावरण बनाए रखें. और साथ ही संक्रमित व्यक्ति से बहुत दूर रहें.
मंकीपॉक्स एक ऑर्थोपॉक्सवायरस है जो चेचक के समान तो है लेकिन उससे कम गंभीर है. मंकीपॉक्स वायरस पॉक्सविरिडे फैमिली के ऑर्थोपॉक्सवायरस जीन से संबंधित है. 1958 में बंदरों में दो चेचक जैसी बीमारियों का पता लगा था, उनमें से ही एक मंकीपॉक्स था.