नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का प्रदर्शन दो सप्ताह से चालू है. केंद्र सरकार और किसान संगठनों की कई स्तर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला है. अब अपनी मांगों के लिए किसान संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. केंद्र सरकार के अलावा अलग-अलग सुरक्षा एजेंसियों की नजर इस आंदोलन पर है. इसी बीच खुफिया सूत्रों के हवाले से जानकारी मिल रही है कि अल्ट्रा-लेफ्ट नेताओं और समर्थक वामपंथी चरमपंथी तत्वों ने किसानों के आंदोलन को हाईजैक कर लिया है.
खुफिया सूत्रों का कहना है कि अतिवादी संगठन आने वाले दिनों में किसानों को हिंसा, आगजनी और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए उकसाने की योजना बना रहे हैं.खुफिया विभाग की रिपोर्ट पर किसान नेता राकेश टिकैत की प्रतिक्रिया सामने आई है. राकेश टिकैत ने कहा, 'हमें तो यहां पर ऐसे लोग नजर नहीं आ रहे हैं. फिर भी अगर खुफिया एजेंसियों की निगाहें इस आंदोलन पर है तो वो उन्हें पकड़े वो कर क्या रही है.' टिकैत ने कहा, 'हमारी सेंट्रल इंटेलीजेंस इतनी कमजोर नही है, जो इन्हें पकड़ नहीं सकती. जो लोग गलत प्रचार कर रहे है. उन पर एजेंसी निगाहें बनाए रखे.'
राकेश टिकैत ने कहा, हमारे एजेंडे में यह नहीं है. हमें भी जानकारी मिली हरियाणा साइड मे पोस्टर लगे है. हमारी कोर कमेटी की मीटिंग में यह कोई मसला नहीं है. हमारा यह कोई एजेण्डा नहीं है. इस दौरान उन्होंने किसान नेताओं से अपील करते हुए कहा कि अगर उन्हें ऐसे कोई तत्व नजर आता है तो उन्हें आंदोलन में घुसने न दिया जाए. टिकैत ने कहा कि हमारा एजेंडा तीन बिल पर है बस MSP पराली पर कानून केवल कृषि यही हमारा निर्णय है.