पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार का तख्तापलट करने की कोशिश में लगे सिद्धू खेमे के पंजाब कांग्रेस के विधायकों और मंत्रियों को करारा झटका लगा है. देहरादून पहुंच कर इन लोगों ने पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत से मुलाकात की और इस मुलाकात के बाद पंजाब के बागी विधायकों एवं मंत्रियों को मुंह की खानी पड़ी है. तो वहीं कैप्टन खेमे ने भी सख्त तेवर अपना लिये है. कांग्रेस की पटियाला से सांसद एवं कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर ने साफ कह दिया है कि पंजाब में जो नाटकीय घटनाक्रम चल रहा है ये सब नवजोत सिंह सिद्धू के पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद ही शुरू हुआ है. उन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह का बचाव करते हुए कहा कि अभी तक पंजाब के मुख्यमंत्री ने कोई भी ऐसा बयान नहीं दिया है. कोई भी ऐसा काम नहीं किया है जिससे मुख्यमंत्री पद की गरिमा को ठेस पहुंची हो. बल्कि कोरोना जैसी महामारी और किसान आंदोलन के बीच में भी कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब के लोगों की भलाई के काम ही किए हैं. और पंजाब के मुख्यमंत्री को हटाना किसी के बस की बात नहीं है, बल्कि ये सिर्फ कांग्रेस आलाकमान ही कर सकता है.
परनीत कौर के तीखे तेवरों के बाद पंजाब कांग्रेस के कई नेता जो सीधे तौर पर कैप्टन अमरिंदर सिंह खेमे से हैं वो खुलकर सामने आ गए. पंजाब कांग्रेस के प्रवक्ता प्रीतपाल सिंह बलियावाल ने कैप्टन के खिलाफ बगावत कर रहे मंत्रियों को नसीहत देते हुए कहा कि यदि पंजाब कैबिनेट में रहना अच्छा नहीं लगता तो त्यागपत्र दें और मंत्री पद छोड़ें. आखिरकार मंत्री पद के साथ बैठे क्यों हैं? सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के पक्ष में राज्यसभा सदस्य और पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा के भाई विधायक फतह जंग बाजवा भी आ गये और उन्होंने कहा कि कैप्टन के खिलाफ बगावत करने वाले चारों मंत्री और विधायक हवा में बातें कर रहे हैं. अभी भी प्रदेश के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ही है. बागी मंत्रियों ने दावा किया था कि लगभग 70 विधायकों का साथ है, बताए कहां? बाजवा ने सिद्धू के सलाहकारों पर करवाई की मांग भी की है.
वहीं नवजोत सिंह सिद्धू के समर्थन करने वाले और शुरू से ही कैप्टन अमरिंदर सिंह के ख़िलाफ़ चलने वाले सिद्धू समर्थक विधायकों को भी समझ में आ गया है कि पार्टी आलाकमान 2022 में भी कैप्टन अमरिंदर सिंह को ही बतौर चेहरा चाहता है. लिहाज़ा उन्हें मौसम को समझते हुए अपने तेवर नरम कर लिए हैं और अब कहने लगे हैं कि वो नेतृत्व परिवर्तन नहीं बल्कि काम की बात करना चाहते हैं और जो वादे किए हैं उनको पूरा किया जाए.