मध्य प्रदेश में सरकारी भर्ती के नियमों में बदलाव के लिए गठित समिति ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें कहा गया है कि, लिपिकीय संवर्ग में जो नए कर्मचारी आ रहे हैं वे सभी ग्रेजुएट हैं, इसलिए आगे भी यही योग्यता रखी जाये तो बेहतर होगा। यानी कुल मिलाकर बात यह है कि, अगर राज्य में सरकारी बाबू बनना है तो आपका ग्रेजुएट होना जरूरी होगा।आपको बता दें कि शिवराज सरकार ने प्रदेश की सरकारी भर्तियों के 45 साल पुराने 1976 के सेवा भर्ती नियमों में बदलाव करने और कैडर रीस्ट्रक्चरिंग के लिए अपर मुख्य सचिव एनवीडीए आईसीपी केशरी की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी। सामान्य प्रशासन विभाग (कार्मिक) की प्रमुख सचिव दीप्ती गौड़ मुखर्जी और एक अन्य सचिव रूही खान इसमें सदस्य हैं। समिति ने प्रारंभिक रिपोर्ट कर्मचारियों से मिले सुझाव से तैयार कर ली है।
इसमें यह सुझाव दिया गया है कि लिपिकीय संवर्ग में होने वाली भर्ती में योग्यता हायर सेकंडरी की जगह स्नातक की जाए। ऐसा इसलिए क्योंकि इस संवर्ग की 90% से ज्यादा भर्तियों में जो कर्मचारी आ रहे हैं वे ग्रेजुएट हैं। इसलिए आगे भर्ती नियमों में अर्हता स्नातक हो।
इन पहलुओं का परीक्षण कर अंतिम रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी, जिसे सामान्य प्रशासन विभाग कैबिनेट में रखेगा। इसके बाद इन्हें गजट नोटिफिकेशन जारी कर लागू किया जाएगा। साथ ही इस पर अगले महीने फैसला होने की संभावना है। गौरतलब है कई प्रदेश सरकार इसी साल से सूबे में ई-फाइलिंग सिस्टम लागू कर रही है। हालाँकि, कोरोना काल के कारण यह योजना ठंडे बसते में चली गयी थी लेकिन अब यह एक साल देरी से लागू हो रही है। अब इस काम के लिए सरकार को ग्रेजुएट और कंप्यूटर में दक्ष कर्मचारियों की जरूरत है। इस वजह से 1976 में बने नियमों में बदलाव किया जा रहा है।