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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
नोएडा: सुपरटेक के ट्विन टावर को गिराने की कार्रवाई अब आखिरी दौर में है. 21 अगस्त को ट्वीन टावर को गिराया जाना है, लेकिन इसी बीच ट्विन टावर के बगल में रेजिडेंशियल सोसायटी में रहने वाले लोगों ने एक बार फिर से डिमोलिशन को लेकर अपना डर जताया है. उनको अभी भी शक है कि डिमोलिशन से उनके टावर या फ्लैट को खतरा हो सकता है.
सुपरटेक के ट्विन टावर के ठीक बगल में सुपरटेक एमेरल्ड कोर्ट नाम की सोसाइटी है. सोसाइटी में 650 फ्लैट हैं, जिनमें लोग रहते हैं. सोसाइटी के आरडब्ल्यूए अध्यक्ष यूबी सिंह तेवतिया कहते हैं कि सुरक्षा के लिहाज से वह अभी भी निश्चिंत नहीं हैं. उनका कहना है कि उन्होंने नोएडा अथॉरिटी से सोसाइटी के सभी टॉवर्स के स्ट्रक्चरल ऑडिट की मांग की थी. ऑडिट से कम से कम यह पता लग जाता कि सोसाइटी के टावर कितनी मजबूत या कमजोर स्थिति में है, लेकिन अभी तक टावर का स्ट्रक्चरल ऑडिट नहीं हुआ है.
यूबी सिंह तेवतिया कहते हैं कि उन्होंने सोसाइटी की तरफ से खुद स्ट्रक्चरल ऑडिट करवाया था लेकिन उस ऑडिट की रिपोर्ट अच्छी नहीं आई है. रिपोर्ट बताती है कि भेजे गए सैंपल का स्ट्रक्चर वीक है. सैंपल में उन टावर के कॉलम्स भी भेजे गए थे जो ट्वीन टावर के 50 मीटर के दायरे में आते हैं. अब सोसायटी के लोग पूरी सोसायटी के टावर की ऑडिट की मांग कर रहे हैं.
एमेरल्ड कोर्ट सोसाइटी में रहने वाले लोगों को इस तरह का डर शुरुआत से ही था. ट्विन टावर को गिराने वाली कंपनी ने कई बार रेजिडेंट को समझाने की कोशिश की कि किस तरह से टावर को गिराने की प्रक्रिया पूरी तरह से सुरक्षित है और रेजिडेंशियल टावर को नुकसान ना हो, इसके लिए क्या-क्या एहतियात बरते जा रहे हैं.
एडिफिस इंजीनियर्स के उत्कर्ष मेहता कहते हैं कि बिल्डिंग गिरते वक्त होने वाले वाइब्रेशन से सोसायटी के लोगों को डर था, लेकिन वाइब्रेशन को कंट्रोल करने के सारे तरीके अपनाए जा रहे हैं, रेजीडेंशियल टावर्स को कोई नुकसान नहीं होगा.
वहीं, नोएडा अथॉरिटी की सीईओ ऋतु महेश्वरी का कहना है कि कोर्ट के आदेश के मुताबिक हम सिर्फ मॉनिटरिंग और सुपरविजन की भूमिका में हैं. टाइम-टाइम पर सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ मीटिंग होती रहती है. 19-20 जुलाई को भी मीटिंग बुलाई गई है. इनमें RWA को भी बुलाया गया है.
jantaserishta.com
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