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न्यूज़ क्रेडिट: हिंदुस्तान
मुंबई: शिवसेना सांसद संजय राउत के सामने नई मुश्किल खड़ी होती दिख रही है। अब प्रवर्तन निदेशालय पार्टी के मुखपत्र 'सामना' में लिखे कॉलम को लेकर राउत की जांच करने की तैयारी कर रही है। खबर है कि शिवसेना सांसद के नाम से अखबार में एक कॉलम प्रकाशित हुआ है। जबकि, इस समय वह हिरासत में हैं। ईडी पता लगाएगी कि इस कॉलम से राउत का कोई कनेक्शन है या नहीं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, राउत के साप्ताहिक कॉलम 'रोखटोक' को लेकर ईडी राउत से पूछताछ करेगी। इस दौरान पता लगाया जाएगा कि यह उन्होंने ही लिखा और अवैध तरीके से जेल से बाहर कर दिया या इससे उनका कोई लेनादेना नहीं है। शिवसेना नेता पात्रा चॉल जमीन घोटाला मामले में ईडी की जांच का सामना कर रहे हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, ईडी सूत्रों के हवाले से बताया गया कि अगर कोर्ट की तरफ से विशेष अनुमति नहीं मिलतीस, तो राउत कस्टडी में रहते हुए कॉलम या आर्टिकल नहीं लिख सकते। साथ ही यह भी बताया गया कि उन्हें इस तरह की कोई अनुमति नहीं मिली थी।
कॉलम में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बयान को लेकर सवाल उठाए गए हैं। अखबार के अनुसार, 'महाराष्ट्र के स्वाभिमान से किसी ने खेल किया तो मराठी माणुस भड़क उठता है। यह इतिहास है। श्री कोश्यारी ने अपने एक भाषण में क्या कहा? 'गुजराती और मारवाड़ी लोग मुंबई में हैं इसलिए मुंबई को आर्थिक राजधानी का दर्जा प्राप्त है। गुजराती-मारवाड़ी लोगों को बाहर निकाला गया तो मुंबई में पैसा नहीं बचेगा।' राज्यपाल का यह बयान बिना उद्देश्य के कैसे हो सकता है?'
कॉलम के मुताबिक, 'मुंबई के गुजराती-मारवाड़ी समाज के लोगों को भी श्री कोश्यारी का यह बयान पसंद नहीं आया और उन्होंने राज्यपाल के भाषण की निंदा की। अधीर रंजन चौधरी द्वारा राष्ट्रपति का उल्लेख 'राष्ट्रपत्नी' के तौर पर करते ही जो गुस्से से लाल हो गए थे, उन्होंने महाराष्ट्र और शिवराय के अपमान के बारे में विरोध भी नहीं जताया। यह भी महाराष्ट्र का अपमान ही है।'
इस कॉलम में ईडी का जिक्र किया गया है। साथ ही राज्यपाल से मामले में दखल देने के लिए कहा गया है। लिखा गया, 'मराठी लोगों के शक्कर कारखाने, कपड़ा मिलें और अन्य उद्योगों को 'ईडी' ने ताले लगा दिए और मराठी उद्यमियों के पीछे जांच लगा दी। राज्यपाल महोदय, कभी इस पर भी बोलिए। पैसा मिले उस मार्ग से मिलने का अवसर आज एक ही प्रांत और समुदाय को मिल रहा है। लिहाजा, मुंबई का ही नहीं, बल्कि अन्य प्रांतों की भी अर्थव्यवस्था बिगड़ गई!'
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