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समीर वानखेड़े को लेकर बड़ी खबर, इस मामले में क्लीन चिट मिली

jantaserishta.com
13 Aug 2022 8:33 AM GMT
समीर वानखेड़े को लेकर बड़ी खबर, इस मामले में क्लीन चिट मिली
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

मुंबई: एनसीबी के पूर्व जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े की जाति को लेकर सालभर से चल रहे विवाद को खत्म करते हुए कास्ट स्क्रूटनी कमेटी ने वानखेड़े को क्लीन चिट दे दी है. कमेटी ने समीर वानखेड़े के जाति प्रमाण पत्र को बरकरार रखा है. कास्ट स्क्रूटनी कमेटी ने 91 पेज के आदेश में उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि वानखेड़े जन्म से मुसलमान हैं.

जांच कमेटी ने अपने आदेश में कहा कि समीर वानखेड़े और उनके पिता ज्ञानेश्वर वानखेड़े ने हिंदू धर्म का त्याग नहीं किया था और न ही मुस्लिम धर्म को अपनाया था. अपने आदेश में कमेटी ने आगे कहा है कि समीर वानखेड़े और उनके पिता महार -37 अनुसूचित जाति के हैं जो हिंदू धर्म में मान्यता प्राप्त है. जांच कर रही कमेटी ने माना कि महाराष्ट्र के पूर्व कैबिनेट मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मलिक, मनोज संसारे, अशोक कांबले और संजय कांबले जैसे अन्य शिकायतकर्ताओं ने समीर वानखेड़े के जाति प्रमाण पत्र के बारे में शिकायत की थी, लेकिन ये लोग अपने दावे साबित नहीं कर पाए.
यह पूरा मामला पिछले साल तब सामने आया था जब वानखेड़े मुंबई में नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो के प्रमुख थे. वानखेड़े ने आरोप लगाया कि मलिक ने उस समय एक कैबिनेट मंत्री के रूप में अपने जाति प्रमाण पत्र का मुद्दा केवल इसलिए उठाया था क्योंकि उनकी टीम ने मलिक के दामाद समीर खान को ड्रग मामले में गिरफ्तार किया था. समीर की रिहाई के बाद मलिक ने ये आरोप लगाने शुरू कर दिए थे. साल 2021 के ड्रग क्रूज मामले में, जिसमें शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान का नाम भी शामिल था. इस मामले ने भी वानखेड़े विरोधी अभियान को और अधिक बल दिया.
मलिक समेत अन्य शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि महार समुदाय से आने वाले वानखेड़े के पिता ज्ञानेश्वर वानखेड़े ने हिंदू धर्म को त्याग दिया था और अपनी पत्नी से शादी करने के लिए मुस्लिम बन गए थे. आरोपों के अनुसार, वानखेड़े मुस्लिम पैदा हुए थे और उन्होंने उस धर्म में निहित रीति-रिवाजों से एक मुस्लिम महिला से शादी भी की थी. हालांकि जब जाति की जांच के लिए शिकायतकर्ताओं को की ओर से वानखेड़े को नोटिस जारी किया तो उनके वकील दिवाकर राय समेत पूरी कानूनी टीम ने इसका जवाब दिया. जाति जांच कमेटी की अध्यक्ष अनीता मेश्राम (वानखेड़े) थीं और सुनीता मेट सदस्य सचिव व सलीमा तड़वी सदस्य थीं.
वहीं कांबले की ओर से पेश हुए वकील नितिन सतपुते ने इस आदेश पर निराशा जाहिर करते हुए कहा कि समीर वानखेड़े की जाति को मेरे द्वारा पहले ही बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है. हमें इस जांच कमेटी से ज्यादा उम्मीदें नहीं थीं, लेकिन हाई कोर्ट पर भरोसा रखें.
समीर वानखेड़े ने कमेटी के आदेश की का स्वागत करते हुए ट्वीट किया, "सत्यमेव जयते." आजतक से बात करते हुए वानखेड़े ने कहा कि मैंने जनता की सेवा के लिए काम कया, लेकिन मुझे इस बात का दुख हुआ कि मेरे परिवार और मेरी मृत मां को भी नहीं बख्शा किया. मेरे परिवार आहत था और मेरा भी मनोबल टूटा था. हालांकि हमारी सेवा में ऐसे मामलों का सामना करने के लिए हमें ट्रेनिंग दी जाती है, लेकिन हमें जिस तरीके से टारगेट किया गया था, वह चौंकाने वाला था. इस सबकी राजनीति पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा. वानखेड़े ने कहा कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी मेरे लिए अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया था, मेरे परिवार ने इस संबंध में पहले ही हाई कोर्ट में दरवाजा खटखटाया है. आखिर में उन्होंने कहा कि मैं निडर होकर अपना काम करता रहूंगा.
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