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बड़ी लापरवाही: अस्पताल ने कहा- डिस्चार्ज हुआ कोरोना मरीज, लेकिन 25 अप्रैल को हुई मौत, परिवार को बाद में मिली जानकारी

jantaserishta.com
2 May 2021 3:44 AM GMT
बड़ी लापरवाही: अस्पताल ने कहा- डिस्चार्ज हुआ कोरोना मरीज, लेकिन 25 अप्रैल को हुई मौत, परिवार को बाद में मिली जानकारी
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बड़ी लापरवाही सामने आई है.

ग्रेटर नोएडा के जिम्स अस्पताल की बड़ी लापरवाही सामने आई है. जहां अस्पताल से गायब एक कोरोना संक्रिमत मरीज का शव मोर्चरी में मिला है. जबकि जिम्स प्रशासन ने उसे 24 अप्रैल को ही डिस्चार्ज करने की बात कही थी. बीते 20 अप्रैल को कोरोना संक्रिमत होने के बाद 47 वर्षीय महेश जिम्स में भर्ती हुए थे. कई दिनों से महेश के परिजन अस्पताल प्रशासन से महेश की जानकारी मांग रहे थे. जब महेश के परिजन कुछ सख्त हुए तो अस्पताल प्रबंधन ने मोर्चरी के शवों को दिखाया जिसमें महेश की पहचान हुई.

इस मामले में जिम्स प्रशासन का कहना है कि महेश को आइसोलेशन में भर्ती किया गया था. वो आइसोलेशन में 2 दिन तक रहा, जिसके बाद मरीज़ की तबीयत अचानक खराब हो गई. इस कारण मरीज को ICU में शिफ्ट कर दिया गया. मरीज के बेहोश होने की वजह से आईसीयू में तैनात स्टाफ को मरीज के नाम और अन्य जानकारी नहीं मिल सकी. जिस कारण स्टाफ ने मरीज को अज्ञात रूप में भर्ती दर्शाया. आईसीयू में मरीज की जान बचाने की भरपूर कोशिश की गयी. किन्तु कोशिश सफल न हो सकी और 25 अप्रैल 2021 को इलाज के दौरान मरीज की मृत्यु हो गयी.
मौत के बाद अस्पताल प्रशासन ने मृतक की लाश को मोर्चरी में शिफ्ट करवा दिया. इसी बीच शिफ्ट चेंज होने के बाद आइसोलेशन वार्ड में तैनात स्टाफ ने मरीज को बेड पर न पाकर रिकॉर्ड में भाग जाना दर्ज दिखा दिया. मरीज के परिजनों ने संस्थान में मरीज के बारे में पता किया. इसके बाद उनको मोर्चरी में अज्ञात में दर्ज शव की पहचान करवाई गई. जहां उन्होंने शव की पहचान अपने मरीज के रूप में कर ली है.
अब सवाल यह है कि क्या अस्पताल के पास शिफ्टिंग के दौरान मरीज का रिकॉर्ड मौजूद नहीं होता, अगर ऐसा नहीं होता तो फिर इतने बड़े अस्पताल का संचालन कैसे किया जा रहा है ? क्या अस्पताल ने डिस्चार्ज समरी मामले से पल्ला झाड़ने के लिए फर्जी रिपोर्ट तैयार करवाई थी ?
महेश सिंह को जिले के नोडल अफसर नरेंद्र भूषण के निर्देश पर भर्ती किया गया था. सोशल मीडिया पर उसकी बीमारी से जुड़ी हुई कई पोस्ट हुई हैं. उसका आधार कार्ड और सहयोगी के मोबाइल नंबर फाइल में दर्ज हैं. ऐसे में महेश को लावारिश क्यों करार दिया गया? हैरानी की बात यह है कि परिजनों को मोर्चरी में डेड बॉडी भी नहीं दिखाई जा रही थी, जब लाश की पहचान हुई तो घर वालों ने पूछा कि महेश की लाश को लावारिस में क्यों दाखिल किया गया है, जिसका कोई भी जवाब अस्पताल प्रशासन के पास नहीं था. अस्पताल प्रशासन ने बताया कि इस व्यक्ति को तो हम सड़क से उठाकर लाए हैं.
दरअसल महेश की मौत 25 अप्रैल को इलाज के दौरान हो गई थी. 30 अप्रैल को महेश के परिवार को इस बात की जानकारी हुई, 5 दिन बाद जिला प्रशासन प्रबंधन ने बताया कि महेश अस्पताल से गायब हो गया है.


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