कॉलेज के फंड में बड़ी हेराफेरी, महिला प्रिंसिपल ने की राज्यपाल से शिकायत
मेरठ। प्रबंधतंत्र पुरुष अहंकार और मनमानेपन में महिला प्राचार्या को प्रताड़ित कर रहे हैं। प्रदेश में सौ प्राचार्य त्यागपत्र देकर चले आए, लेकिन मैं किसी भी कीमत पर ऐसा नहीं करुंगी। भ्रष्टाचार के विरुद्ध इस लड़ाई में यदि मुझे कुछ होता है तो जिम्मेदारी कॉलेज प्रबंध तंत्र सचिव-अध्यक्ष और शासन के अधिकारियों की होगी, जिन्हें एक साल से पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग कर रही हूं। दीक्षांत समारोह में आपने भी अपनी शक्ति पहचाने और सशक्तिकरण की बात कही लेकिन मिलने का समय आज तक नहीं दिया।
यह शब्द किसी फिल्म की स्क्रिप्ट के नहीं बल्कि शहर के चर्चित कनोहरलाल महिला पीजी कॉलेज की प्राचार्या प्रो. अलका चौधरी के उस पत्र के हैं, जो राज्यपाल को भेजा गया है। प्राचार्या ने कॉलेज में वित्तीय अनियमितताओं के खिलाफ पांच सौ पेज में साक्ष्य दिए हैं, लेकिन कार्रवाई जीरो है। वित्तीय अनियमितता की जांच के लिए विभागीय ऑडिट के आदेश हो चुके हैं, जबकि प्राचार्या विशेष ऑडिट की मांग कर रही हैं। मैनेजमेंट ने आज तक प्राचार्या के साथ बैठक नहीं की।
प्रबंध तंत्र प्राचार्या के खिलाफ फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में है। विवि और हाईकोर्ट में प्रबंध तंत्र को कोई राहत नहीं मिल पाई। प्राचार्या का आरोप है कि कुछ लोगों को घर बैठाकर बिना ज्वाइन कराए ही सेलरी दी जा रही है। फंड का दुरुपयोग किया जा रहा है।
कनोहरलाल कॉलेज की प्राचार्य प्रो.अलका चौधरी ने कहा कि चाहे जो हो जाए, भ्रष्टाचार के खिलाफ मेरी आवाज जारी रहेगी। मैं एक साल से राजभवन और शासन के अधिकारियों को साक्ष्य दे रही हूं। कार्रवाई आज तक नहीं हुई। मेरे साथ कुछ हुआ तो जिम्मेदार प्रबंध तंत्र सचिव, अध्यक्ष होंगे। मेरा मानसिक उत्पीड़न हो रहा है। एक महिला को परेशान किया जा रहा है और कुछ कार्रवाई नहीं हो रही।