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उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव है. लेकिन इसके ठीक कुछ महीने पहले योगी सरकार ने एक बड़ा मास्टर स्ट्रोक खेला है. सरकार ने प्रदेश के 5 लाख पेंशनरों को तोहफा देते हुए सातवें वेतन आयोग के तहत पेंशन देने का फैसला किया है.
5 लाख पेंशनरों को 6वें वेतनमान के तहत मिलती है पेंशन
उत्तर प्रदेश में इस समय 12 लाख पेंशनभोगी हैं. उनमें से तकरीबन 5 लाख ऐसे पेंशनर हैं, जिन्हें अभी तक 6वें वेतन आयोग के तहत ही पेंशन मिलती आई है. इस श्रेणी के अधिकांश पेंशनर निगमों से हैं, जहां पर अभी तक सातवें वेतन आयोग को लागू नहीं किया गया है. लेकिन अपर मुख्य सचिव वित्त एस राधा चौहान के द्वारा जारी शासनादेश के बाद अब प्रदेश भर के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को 7वें वेतन आयोग के तहत पेंशन दी जाएगी.
तीन महीने के भीतर पुनरीक्षण कार्य पूरा करने का निर्देश
इस फैसले को लागू करने में ज्यादा देरी ना हो इसके लिए योगी सरकार ने सभी विभागों को तीन महीने के भीतर पुनरीक्षण कार्य पूरा करने का निर्देश दे दिया गया है. वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार अपने सेवानिवृत्त कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग के अनुसार पेंशन देने का आदेश पहले ही जारी कर चुकी है.
संयुक्त पेंशनर्स कल्याण समिति ने फैसले का किया स्वागत
वित्त विभाग से मिली जानकारी के अनुसार छठे वेतन आयोग से संबंधित सेवानिवृत्त कर्मचारियों के पुनरीक्षण के तुरंत बाद 7वें वेतन आयोग से जुड़े पेंशनरों के बराबर पेंशन मिलनी शुरू हो जाएगी. सरकार के इस फैसले का संयुक्त पेंशनर्स कल्याण समिति ने स्वागत किया है. हालांकि इस फैसले के टाइमिंग पर जरूर सवाल उठ रहे हैं. अंदेशा जताया जा रहा है कि ऐन चुनाव से पहले आए इस फैसले के माध्यम से बीजेपी राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश कर सकती है.
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