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बड़ा फैसला: आरोपियों को 100 पेड़ लगाने होंगे, जानें पूरा मामला

jantaserishta.com
23 Jun 2022 3:44 AM GMT
बड़ा फैसला: आरोपियों को 100 पेड़ लगाने होंगे, जानें पूरा मामला
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न्यूज़ क्रेडिट: हिंदुस्तान

नई दिल्ली: पेड़ लगाने की शर्त पर उच्च न्यायालय ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम सहित विभिन्न आरोपों में दर्ज मुकदमा रद्द कर दिया है। न्यायालय ने कहा कि आरोपियों को न सिर्फ 100 पेड़ लगाने होंगे, बल्कि पांच वर्ष तक इसकी देखरेख भी करनी होगी। जस्टिस जसमीत सिंह ने आरोपियों और शिकायतकर्ता के बीच हुए समझौते के आधार पर मार्च, 2022 में दर्ज मुकदमा रद्द कर दिया।

आरोपियों की ओर से उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर इसकी मांग की गई थी। आरोपियों की ओर से अधिवक्ता मुस्तफा ने न्यायालय को बताया कि उनके मुवक्किल और शिकायतकर्ता के बीच समझौता हो गया है। ऐसे में पुलिस की ओर से दर्ज मुकदमा रद्द कर दिया जाए। अधिवक्ता ने दोनों पक्षों के बीच विवाद को सुलझाने के लिए हुए करारनामे को भी पेश किया। न्यायालय में मौजूद समझौते की पुष्टि करते हुए कहा कि वह मुकदमा को आगे नहीं बढ़ना चाहती है।
इसके बाद हाल ही में न्यायालय ने ब्रह्मप्रकाश और अन्य आरोपियों को सौ-सौ पेड़ लगाने की शर्त पर दक्षिण-पूर्वी जिला की सनलाइट कॉलोनी थाना में दर्ज मुकदमा रद्द कर दिया। न्यायालय ने आरोपियों को अगले पांच साल तक इन पेड़ों की देखरेख करने की भी जिम्मेदारी दी है। महिला की शिकायत पर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम के प्रावधानों के अलावा मारपीट-छेड़छाड़ के आरोप में मुकदमा दर्ज किया था।
उच्च न्यायालय ने आरोपियों को सौ-सौ पेड़ लगाने का आदेश देते हुए कहा कि इसकी उम्र कम से कम तीन साल होनी चाहिए। न्यायालय ने आरोपियों को नगर निगम के बागवानी विभाग की देखरेख में चिन्हित जमीन पर ये पेड़ लगाने का आदेश दिया है। न्यायालय ने पेड़ लगाने के सभी चरणों के बारे में न्यायालय को सूचित करने का आदेश दिया है।
न्यायालय ने आरोपियों को पेड़ों की देखरेख का आदेश देने के साथ ही जांच अधिकारी को लगाए गए पेड़ों की स्थिति के बारे में हर छह महीने पर अदालत में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने सरकार से कहा है कि यदि आरोपियों की ओर से पेड़ लगाने या देखरेख में किसी तरह की लापरवाही बरती जाती है, तो इस बारे में समुचित कार्रवाई के लिए न्यायालय को बताया जाए।
उच्च न्यायालय ने पेड़ लगाने की शर्त पर छेड़छाड़ और अन्य आरोपों में दर्ज एक अन्य मामले को भी रद्द कर दिया। आरोपियों और शिकायतकर्ता के बीच हुए समझौते के आधार पर दर्ज मामले को रद्द करने के साथ ही न्यायालय ने आरोपियों को पचास-पचास पेड़ लगाने का आदेश दिया है। न्यायालय ने इन मामलों में भी आरोपियों को पांच साल तक पेड़ों की देखरेख का आदेश दिया है।
उच्च न्यायालय ने हाल के दिनों में पक्षकारों के बीच समझौते के आधार पर दर्ज आपराधिक मामलों को रद्द करते हुए आरोपियों को पेड़ लगाने का आदेश दिया था। न्यायालय ने बेवजह आपसी विवाद में मुकदमा दर्ज कराकर न्यायालय और जांच एजेंसी का समय बर्बाद करने के लिए आरोपियों को सजा के तौर पर पेड़ लगाने का आदेश दिया था।

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