सैनिक-स्कूलों की बढ़ती मांग को देखते हुए केंद्र सरकार ने देशभर में 100 अतिरिक्त सैनिक स्कूल खोलने की मंजूरी दे दी है. खास बात ये है कि ये सभी 100 स्कूल सैनिक-स्कूल सोसायटी से संबद्ध होंगे और इन स्कूलों को सरकारी संस्था, प्राइवेट या फिर एनजीओ भी खोल सकते हैं. मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने 100 अतिरिक्त सैनिक स्कूल खोलने की मंजूरी दे दी. इसके लिए कोई भी सरकारी या प्राईवेट या फिर कोई एनजीओ अपने स्कूल (जो पहले से चल रहा है) या फिर नई स्कूल को सैनिक-स्कूल सोसायटी से संबद्ध करा सकता है. ये सोसायटी रक्षा मंत्रालय के अधीन है.
सरकार का मानना है कि इन 100 नई स्कूलों में अगले शैक्षिणक-वर्ष यानि 2022-23 में करीब पांच हजार नए छात्र-छात्राओं को दाखिला मिल सकेगा. कैबिनेट के फैसले के बाद सरकार ने बयान जारी करते हुए कहा कि ये स्कूल नई एजुकेशन पॉलिसी (एनईपी) के तहत खोले जाएंगे. इस वक्त देश में कुल 33 सैनिक स्कूल हैं, जहां करीब 3300 छात्र-छात्राएं शिक्षा ले रहे हैं. इन सैनिक स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता, अनुशासन, शारीरिक-तंदरूस्त, देशभक्ति, संस्कृति, आध्यात्म और कर्तव्यपरायण जैसे संस्कारों पर खासा जोर दिया जाता है. इन स्कूलों से निकले छात्र ना केवल सेना के उच्च-पदों तक पहुंचते हैं, बल्कि सिविल-सेवाएं, ज्यूडेशरी और साइंस एंड टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी नाम कमाते हैं.
सरकार को मुताबिक, सैनिक-स्कूल के नए मॉडल (सैनिक स्कूल से संबद्ध) के कई फायदे और उद्देश्य हैं. पहला तो ये कि देशभर में सैनिक स्कूलों की जो बढ़ती मांग है, वो पूरी हो सकेगी. दूसरा, नए स्कूलों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर और बजट जैसे समस्याओं से नहीं जूझना पड़ेगा. तीसरा और सबसे बड़ा कारण है सैनिक स्कूल के माध्यम से युवाओं को वैल्यू यानि संस्कार आधारित शिक्षा के साथ-साथ शारीरिक, मानसिक-सामाजिक, आध्यात्मिक, बौद्धिक, भावनात्मक और संज्ञानात्मक विकास प्रदान कर सकें और वे भविष्य की चुनौतियों का सामना करते हुए अपने जीवन को गुणवत्ता प्रदान कर सकें. आपको बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को अगले शैक्षणिक-वर्ष से छात्राओं को एडमिशन देने का आदेश दिया था. हालांकि, रक्षा मंत्रालय भी वर्ष 2019 में सैनिक स्कूलों को लड़कियों के लिए खोलने का प्रस्ताव दे चुका था.