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एकनाथ शिंदे गुट का बड़ा दावा, शरद पवार को लेकर कही यह बात

jantaserishta.com
13 July 2022 9:48 AM GMT
एकनाथ शिंदे गुट का बड़ा दावा, शरद पवार को लेकर कही यह बात
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न्यूज़ क्रेडिट: हिंदुस्तान

मुंबई: महाराष्ट्र की सियासी लड़ाई में अब एकनाथ शिंदे गुट ने एनसीपी के चीफ शरद पवार पर सीधा हमला बोला है। एकनाथ शिंदे गुट के प्रवक्ता दीपक केसरकर ने कहा कि आज से पहले जब भी शिवसेना क बंटवारा हुआ था, उसमें शरद पवार का ही हाथ था। उन्होंने नारायण राणे और राज ठाकरे की बगावत का जिक्र करते हुए कहा कि इन दोनों ही नेताओं के पीछे शरद पवार का हाथ था। उन्होंने कहा कि आज शरद पवार की ओर से बालासाहेब ठाकरे के सम्मान की बात की जा रही है। उन्हें महाराष्ट्र की जनता को जवाब देना चाहिए कि बालासाहेब ठाकरे को जिंदा रहते हुए क्यों प्रताड़ित किया गया।

उन्होंने एक मराठी चैनल से बातचीत में शरद पवार की ओर से शिवसेना और एनसीपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की बात कहने पर भी जवाब दिया। उन्होंने कहा कि शरद पवार ने अकसर शिवसेना के विभाजन के बारे में निजी तौर पर बात की थी। पवार ने नारायण राणे को शिवसेना से बाहर निकालने में मदद की थी। छगन भुजबल को खुद शरद पवार ने शिवसेना से बाहर किया था। इसके अलावा राज ठाकरे को भी उनका समर्थन हासिल था। महाराष्ट्र की सियासत में शरद पवार का बड़ा कद है और एकनाथ शिंदे गुट की ओर से उन पर सीधा हमला होने पर तीखा रिएक्शन देखने को मिल सकता है।
हालांकि अब तक एनसीपी की ओर से केसरकर के आरोप का कोई जवाब नहीं दिया गया है। केसरकर ने बालासाहेब ठाकरे को याद करते हुए कहा, 'मैंने मातोश्री को सिल्वर ओक के दरवाजे पर कभी जाते नहीं देखा। बालासाहेब कभी भी कांग्रेस-एनसीपी के साथ जाने के लिए तैयार नहीं हुए। बालासाहेब ठाकरे कहा करते थे कि अगर मैं अपनी पार्टी का आखिरी व्यक्ति हूं तो भी कांग्रेस के साथ नहीं जाऊंगा।' एकनाथ शिंदे समर्थक नेता ने कहा कि इसीलिए शिव सैनिक कभी भी शरद पवार के साथ नहीं रहेंगे।
बता दें कि एनसीपी की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में शरद पवार ने कहा था कि भले ही शिवसेना के विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं, लेकिन शिव सैनिक अभी भी हैं। इसलिए अगले चुनाव में एक या दो अपवादों को छोड़कर, इन 40 विधायकों में से कोई भी निर्वाचित नहीं होगा। गौरतलब है कि 2019 में महा विकास अघाड़ी सरकार के गठन में भी शरद पवार की ही अहम भूमिका मानी जाती है। उन्होंने ही कांग्रेस और शिवसेना को एक मंच पर लाने की सफल कोशिश की थी।
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