बिहार के कैमूर जिले के नुआंव थाना क्षेत्र में एक गर्भवती महिला का पीएचसी नुआंव के डॉक्टरों ने 5 दिसंबर को नसबंदी का ऑपरेशन कर दिया. फिलहाल महिला अपने लिए इंसाफ की मांग कर रही है. उसका कहना है कि कहीं ऑपरेशन कराने के बाद या बच्चा होने के बाद जच्चा और बच्चा पर खतरा ना हो जाए. महिला का कहना है कि ऑपरेशन के बाद वह अपने घर पहुंची और डॉक्टरों की दी हुई दवाई खाने लगी तो उसे पेट में दर्द और उल्टी होना शुरू हो गई. जब महिला ने निजी क्लीनिक में जाकर अपनी समस्या बताई तो चिकित्सक ने उसे गर्भवती होने की बात कही, और फिर अल्ट्रासाउंड के बाद महिला को दो महीने की प्रेग्नेंट बताया.
इस नसबंदी के ऑपरेशन से अस्पताल और डॉक्टरों की बड़ी लापरवाही सामने आई है. जानकारी के मुताबिक, किसी भी महिला का नसबंदी का ऑपरेशन कराने से पहले उसका प्रेग्नेंसी टेस्ट से लेकर कई प्रकार के जांच सरकारी अस्पताल में ही कराया जाता है. जांच रिपोर्ट नॉर्मल होने के बाद ही डॉक्टर ऑपरेशन करते हैं. वहीं, पीड़िता कार्रवाई की मांग कर रही है. पीड़िता के पहले से दो बेटे और दो बेटी हैं. उसके पति नुआंव बाजार में सब्जी की दुकान चलाकर पूरे परिवार का भरण-पोषण करते हैं. अब इन लोगों को डर है कि कहीं ऑपरेशन कराने के बाद या बच्चा होने के बाद जच्चा और बच्चा पर खतरा ना हो जाए.
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नुआंव के हेल्थ मैनेजर का कहना है कि 5 दिसंबर को कैंप लगाकर कुल 12 महिलाओं का नसबंदी ऑपरेशन किया गया था. नसबंदी ऑपरेशन से पहले कई प्रकार की जांच हुई थी. हम लोगों को भी इस घटना की जानकारी मिली है. जिला अस्पताल के डॉक्टरों से इस मामले पर मार्गदर्शन मांगा जाएगा और मामले की जांच की जाएगी.