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BIG BREAKING: NIA ने की बड़ी कार्रवाई, 3 बांग्लादेशियों को भेजा जेल
Shantanu Roy
28 Nov 2024 1:52 PM GMT
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बड़ी खबर
Mumbai. मुंबई। मुंबई की नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) कोर्ट ने गुरुवार को तीन बांग्लादेशी नागरिकों को पांच साल की सजा सुनाई है. एनआईए की विशेष अदालत के आदेश के बाद तीनों बांग्लादेशी को जेल भेज दिया गया है. इन पर पुणे में बांग्लादेश के आतंकी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) के आतंकियों को शरण देने का आरोप था. इसके साथ ही इस मामले में सजा पाने वालों की संख्या पांच पहुंच गई है। एनआईए कोर्ट से सजा पाने वाले दोषियों में मोहम्मद हबीबुर्रहमान हबीब उर्फ राज जेसुब मंडल, हन्नान अनवर हुसैन खान (उर्फ हन्नान बाबुराली गाजी), और मोहम्मद अजराली सुब्हानल्लाह (उर्फ राजा जेसुब मंडल) शामिल हैं।
NIA Mumbai Court Sends 3 more B’Deshis to Jail for Harbouring ABT Terrorists, Taking total Convictions to 5 pic.twitter.com/m7wr5y8mQr
— NIA India (@NIA_India) November 28, 2024
तीन बांग्लादेशी नागरिकों को आईपीसी और विदेशी अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया है. आरोपियों पर 5 साल कैद के साथ 2 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है. मुंबई की एनआईए कोर्ट ने इस मामले (RC-01/2018/NIA/MUM) में अब तक कुल पांच आरोपियों को दोषी ठहराया जा चुका है. इससे पहले अक्टूबर 2023 में रिपेन हुसैन उर्फ रुबेल और मोहम्मद हसन अली मोहम्मद आमिर अली को भी पांच साल कैद की सजा सुनाई गई थी. यह मामला सबसे पहले मार्च 2018 में पुणे पुलिस द्वारा दर्ज किया गया था. पुलिस को जानकारी मिली थी कि पुणे में कई बांग्लादेशी नागरिक अवैध रूप से रह रहे हैं।
पुलिस को जानकारी मिली कि ये एबीटी के सदस्यों को लॉजिस्टिक मुहैया कर मदद और शरण दे रहे हैं. पुलिस ने महाराष्ट्र के पुणे स्थित धोबीघाट, भैरोबा नाला इलाके से हबीब को पकड़ा था. बाद में कुल पांच बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया. मई 2018 में एनआईए ने मामले की जांच अपने हाथ में ली. जांच में पता चला कि गिरफ्तार बांग्लादेशी नागरिक भारत में अवैध रूप से घुसपैठ करके आए थे. उन्होंने फर्जी दस्तावेजों के जरिए पैन कार्ड, आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड जैसे फर्जी भारतीय पहचान पत्र मुहैया करवाए गए. इन दस्तावेजों का इस्तेमाल वे सिम कार्ड लेने, बैंक खाते खोलने और भारत में नौकरी पाने के लिए कर रहे थे. एनआईए की जांच में यह भी खुलासा हुआ कि आरोपियों ने एबीटी के कई सदस्यों, जिनमें एक मुख्य सदस्य समद मिया उर्फ तनवीर उर्फ सैफुल उर्फ तुषार बिस्वास शामिल था, इसको शरण और फाइनेंशियली मदद दी।
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