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New Delhi. नई दिल्ली। लोकसभा से 21 सदस्य; 'एक राष्ट्र एक चुनाव' के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में राज्यसभा से 10 सदस्य प्रियंका गांधी वाड्रा, मनीष तिवारी, धर्मेंद्र यादव, कल्याण बनर्जी, सुप्रिया सुले, श्रीकांत एकनाथ शिंदे, संबित पात्रा, अनिल बलूनी, अनुराग सिंह ठाकुर को जेपीसी के सदस्य के रूप में नामित किया गया।
21 members from Lok Sabha; 10 from Rajya Sabha in Joint Parliamentary Committee (JPC) for 'One Nation One Election'
— ANI (@ANI) December 18, 2024
Priyanka Gandhi Vadra, Manish Tewari, Dharmendra Yadav, Kalyan Banerjee, Supriya Sule, Shrikant Eknath Shinde, Sambit Patra, Anil Baluni, Anurag Singh Thakur named… pic.twitter.com/P678d7c9tl
एक देश, एक चुनाव के लिए संसद में मंगलवार को पेश हुए 129 वें संविधान (संशोधन) बिल की समीक्षा के लिए बनने वाली जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) में कांग्रेस की तरफ से प्रियंका गांधी वाड्रा शामिल हो सकती हैं। कांग्रेस ने JPC के लिए चार सांसदों के नाम नॉमिनेट किए हैं। इनमें प्रियंका के अलावा मनीष तिवारी, रणदीप सिंह सुरजेवाला और सुखदेव भगत सिंह शामिल हैं। वहीं, तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने साकेत गोखले और कल्याण बनर्जी का नाम आगे बढ़ाया है।
बीते दिन बिल पेश किए जाने पर विपक्ष के विरोध को देखते हुए अमित शाह ने सदन में कहा कि बिल जब कैबिनेट में आया था, तब प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि इसे संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजना चाहिए। कानून मंत्री ऐसा प्रस्ताव कर सकते हैं। कानून मंत्री मेघवाल ने 17 दिसंबर को लोकसभा में एक देश-एक चुनाव को लेकर संविधान संशोधन बिल रखा था। विपक्षी सांसदों ने इसका विरोध किया। इसके बाद बिल पेश करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग कराई गई। कुछ सांसदों की आपत्ति के बाद वोट संशोधित करने के लिए पर्ची से दोबारा मतदान हुआ।
इस वोटिंग में बिल पेश करने के पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 वोट पड़े। इसके बाद कानून मंत्री ने बिल दोबारा सदन में रखा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भाजपा बिल पेश होते समय लोकसभा में अनुपस्थित रहे 20 सांसदों को नोटिस भेजेगी। पार्टी ने सदन में मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी किया था।भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं। एक देश-एक चुनाव का मतलब लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से है। यानी मतदाता लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय वोट डालेंगे।
आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एकसाथ ही हुए थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद दिसंबर, 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई। एक देश-एक चुनाव पर विचार के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 2 सितंबर, 2023 को एक कमेटी बनाई गई थी। कमेटी ने करीब 191 दिनों में स्टेकहोल्डर्स और एक्सपर्ट्स से चर्चा के बाद 14 मार्च, 2024 को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी थी। एक देश-एक चुनाव को लागू करने के लिए संविधान संशोधन के जरिए संविधान में 1 नया अनुच्छेद जोड़ने और 3 अनुच्छेदों में संशोधन करने की व्यवस्था की जाएगी। सरकार इस मुद्दे पर आम सहमति बनाना चाहती है, लिहाजा बिल को जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) को भेजे जाने की संभावना है।
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