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नारायण साईं को बड़ा झटका: सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के आदेश को किया खारिज, जानिए मामला

jantaserishta.com
20 Oct 2021 7:42 AM GMT
नारायण साईं को बड़ा झटका: सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के आदेश को किया खारिज, जानिए मामला
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम के बेटे और बलात्कार के दोषी नारायण साईं को दो सप्ताह की 'फर्लो' दिए जाने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ गुजरात सरकार की याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली. सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार के दोषी नारायण साईं को मिले दो हफ्ते के फर्लो को निरस्त कर दिया है.

गुजरात सरकार ने न्यायालय से कहा कि साईं को 'फर्लो' नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि वह जेल के भीतर आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा है. साईं ने इस आधार पर 'फर्लो' मांगी थी कि उसे पूर्व में कोरोना वायरस से संक्रमित हुए अपने पिता आसाराम की देखरेख करनी है.
आसाराम के बेटे को कोर्ट से झटका
गुजरात सरकार ने इसका विरोध करते हुए कहा कि आसाराम उपचार के बाद अब फिर से जेल में है. नारायण साईं और उसके पिता आसाराम को बलात्कार के अलग-अलग मामलों में दोषी ठहराया जा चुका है तथा वे आजीवान कारावास की सजा काट रहे हैं.
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने नारायण साईं को दो सप्ताह की 'फर्लो' देने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ गुजरात सरकार की अपील पर संबंधित पक्षों को सुना और कहा कि इस पर निर्णय बाद में सुनाया जायेगा. अब कोर्ट से आसाराम के बेटे को झटका लग गया है.
आरोपी ने रिश्वत देने की कोशिश की
गुजरात सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि नारायण साईं ने पुलिस और स्वास्थ्य अधिकारियों को रिश्वत देने की कोशिश की है तथा वह जेल के भीतर मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हुए पाया गया है.
उन्होंने कहा कि बलात्कार के मुकदमे के दौरान उससे जुड़े मामलों के कई प्रमुख गवाहों पर हमले हुए और उनकी हत्या कर दी गई. मेहता ने कहा, ''इस साल जनवरी में उसे (साईं) अपनी बीमार मां की देखरेख करने के लिए अंतरिम जमानत मिल गई थी और उसके बाद उच्च न्यायालय ने अब उसे 'फर्लो' दे दी. वह जेल में बंद रहने के दौरान भी आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा है.''
पहले भी मिल चुकी थी फर्लो
उन्होंने शीर्ष अदालत से आग्रह किया कि नारायण साईं को 'फर्लो' देने के उच्च न्यायालय के आदेश को दरकिनार किया जाना चाहिए क्योंकि यह दोषी के पूर्ण अधिकार का मामला नहीं है. वहीं, नारायण साईं की ओर से पेश अधिवक्ता संजीव पूनालेकर ने कहा था कि 'फर्लो' के लिए किसी कारण की जरूरत नहीं है क्योंकि यह कैदी के लिए समाज में अपनी जड़ें बनाए रखने के लिए है. उन्होंने कहा कि नारायण साईं को यह दूसरी 'फर्लो' है और पहली 'फर्लो' के दौरान उसने सभी शर्तों का पालन किया था. लेकिन कोर्ट ने इस बार गुजरात सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया और आसाराम के बेटे की फर्लो को ही खारिज कर दिया.
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