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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
नई दिल्ली: गुजरात कैडर के पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की मुश्किलें फिलहाल कम होती नहीं दिख रही हैं. ड्रग्स से जुड़े एक मामले में उन्होंने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया है. इसके बाद संजीव भट्ट ने अपनी याचिका वापस ले ली है.
सुप्रीम कोर्ट ने संजीव भट्ट की जमानत याचिका पर विचार करते हुए कहा कि उन पर काफी गंभीर आरोप हैं. ऐसे में उनको जमानत देना ठीक नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट के जमानत देने से इनकार के बाद भट्ट ने अपनी याचिका वापस ले ली है. गुरुवार को एक अन्य मामले में उन्होंने सजा निलंबन की याचिका वापस ले ली थी. उनके ऊपर 1990 में हिरासत में एक व्यक्ति की मौत का मामला भी चल रहा था, जिसमें उन्हें दोषी करार दिया जा चुका है, हालांकि गुजरात हाईकोर्ट इस दोषसिद्धि के खिलाफ उनकी अपील पर सुनवाई कर रहा है.
संजीव भट्ट के खिलाफ चल रहा ड्रग्स से जुड़ा ये मामला लगभग 27 साल पुराना है. ये मामला सुमेर सिंह राजपुरोहित की गिरफ्तारी के बाद सामने आया था. ये मामला पालनपुर के होटल लाजवंती में लाई जा रही दवाओं के बारे में मिली जानकारी, छापेमारी और ड्रग्स की बरामदगी से जुड़ा है. संजीव भट्ट पर आरोप है कि उन्होंने इस मामले में राजस्थान के एक वकील को गलत तरीके से फंसाया है. संजीव भट्ट इन दिनों जेल में बंद हैं.
संजीव भट्ट अप्रैल 2011 में उस वक्त चर्चा में आए थे, जब उन्होंने 2002 के गुजरात दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के शामिल होने का आरोप लगाया था और इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया था.
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