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एयर इंडिया को तगड़ा झटका, रिटायर्ड जज इस मामले को लेकर गए थे उपभोक्ता आयोग

19 Jan 2024 9:18 PM GMT
एयर इंडिया को तगड़ा झटका, रिटायर्ड जज इस मामले को लेकर गए थे उपभोक्ता आयोग
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लखनऊ: 73 वर्षीय रिटायर्ड जज न्यायमूर्ति राजेश चन्द्रा के साथ सैन फ्रांसिस्को की हवाई यात्रा में एयर इण्डिया लिमिटेड द्वारा किये अनुचित व्यवहार के मामले में राज्य उपभोक्ता विवाद और प्रतितोष आयोग ने एयर इण्डिया को सेवा में त्रुटि का दोषी करार दिया है। एयर इंडिया को 45 दिन के अंदर हर्जाने की रकम का …

लखनऊ: 73 वर्षीय रिटायर्ड जज न्यायमूर्ति राजेश चन्द्रा के साथ सैन फ्रांसिस्को की हवाई यात्रा में एयर इण्डिया लिमिटेड द्वारा किये अनुचित व्यवहार के मामले में राज्य उपभोक्ता विवाद और प्रतितोष आयोग ने एयर इण्डिया को सेवा में त्रुटि का दोषी करार दिया है। एयर इंडिया को 45 दिन के अंदर हर्जाने की रकम का भुगतान करना होगा।

आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने अपने फैसले में कहा है कि वह शिकायकर्ता जस्टिस चन्द्रा को बिजनेस क्लास के टिकट के मद में 1 लाख 69 हजार 002 रुपये (दस प्रतिशत ब्याज के साथ जमा की गयी राशि की तारीख से भुगतान की तारीख तक) अदा करे। साथ ही शिकायकर्ता को उस समय यात्रा के दौरान और यात्रा के बाद हुई शारीरिक दिक्कत व मानसिक प्रताड़ना के एवज बतौर क्षतिपूर्ति बीस लाख रुपये अदा करे। इसके अलावा बीस हजार रुपये बतौर मुकदमा खर्च भी दे।

दरअसल हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज न्यायमूर्ति राजेश चन्द्रा ने अपनी पत्नी के साथ सैन फ्रासिंस्को जाने के लिए एयर इण्डिया से इकोनोमी क्लास का टिकट 1 लाख 80 हजार 408 रुपये में खरीदा था। चूंकि शिकायकर्ता वयोवृद्ध हैं और कई बीमारियों से पीड़ित हैं इसलिए उन्होंने इस लम्बी यात्रा के लिए अपना टिकट इकोनोमी क्लास से बिजनेस क्लास में तब्दील करवाते हुए 1 लाख 23 हजार 900 रुपये ज्यादा खर्च किये।

22 सितम्बर 2022 को जब वापसी की यात्रा में वह एयर इण्डिया की फ्लाइट संख्या एफ-174 में पहुंचे तो पाया की उनकी सीट और उनकी पत्नी की सीट हिलडुल नहीं रही और न ही आगे-पीछे घूम रही। इस पर उन्होंने फ्लाईट के स्टाफ से शिकायत की। उन्हें बताया गया कि उस सीट का आटोमेटिक सिस्टम टूट गया है और उसमें अब कुछ नहीं किया जा सकता।

पूरी यात्रा के दौरान न्यायमूर्ति चन्द्रा को सरवाईकल स्पाण्डलाइटिस व साइटिका की वजह से काफी दिक्कत हुई और उनकी पत्नी जो कि घुटनों के रोग से ग्रस्त थीं उन्हें भी खासी परेशानी हुई। उन्होंने राज्य उपभोक्ता आयोग की शरण ली, जहां सुनवाई के बाद उनके पक्ष में निर्णय सुनाया गया।

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