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बड़ा झटका: तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व आईपीएस अधिकारी की जमानत याचिका खारिज, जानें पूरा मामला

jantaserishta.com
30 July 2022 11:27 AM GMT
बड़ा झटका: तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व आईपीएस अधिकारी की जमानत याचिका खारिज, जानें पूरा मामला
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

कोटा: तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व आईपीएस अधिकारी आरबी श्रीकुमार की जमानत शनिवार को अहमदाबाद सिटी सेशन्स कोर्ट ने खारिज कर दी. दोनों ने पुलिस हिरासत खत्म होने के बाद कोर्ट में जमानत के लिए आवेदन किया था. फिलहाल दोनों अभी जेल में ही रहेंगे. कोर्ट ने शुक्रवार को दोनों की जमानत याचिका पर सुनवाई शनिवार तक के लिए टाल दी थी.

अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने तीस्ता सीतलवाड़, आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट के खिलाफ गुजरात दंगों के बाद निर्दोष लोगों, पुलिस अधिकारियों और मंत्रियों-राजनेताओं को निशाना बनाने के लिए झूठे और मनगढ़ंत हलफनामे, बयान और सबूत देने के लिए मामला दर्ज किया था.
अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने तीनों आरोपियों पर गोधरा ट्रेन कांड के बाद एक बड़ी साजिश रचने का आरोप लगाया है. अपराध शाखा ने अदालत को दिए अपने हलफनामे में कहा था कि सभी आरोपियों ने कांग्रेस के दिवंगत नेता अहमद पटेल के इशारे पर साजिश रची थी. वह संसद सदस्य और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के राजनीतिक सलाहकार थे.
क्राइम ब्रांच का यह भी कहना है कि तीस्ता सीतलवाड़ को दिवंगत अहमद पटेल से 5 लाख और 25 लाख मिले थे और उनकी महत्वाकांक्षा सांसद बनने की थी.
20 जुलाई को हुई सुनवाई में एसआईटी ने बताया था कि आरोपियों ने जाकिया से शिकायत दर्ज कराने के लिए कहा कि गुजरात के कई मंत्री पुलिस कंट्रोल रूम गए हैं. वे यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कानून-व्यवस्था की स्थिति नियंत्रित न की जा सके. उन्होंने यह तय किया कि दंगों को नियंत्रित करने के लिए सेना को न बुलाया जाए.
आरोपियों ने जाकिया के जरिए शिकायत दर्ज कराई कि मामले में सीएम (नरेंद्र मोदी) और अन्य मंत्रियों को आरोपी बनाया जाए. इसके बाद जाकिया ने इन झूठे आरोपों के आधार पर शिकाय दर्ज करा दी थी. इसके जाकिया और तीस्ता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. एसआईटी ने कहा कि आरोपियों का उद्देश्य अपराध को गुप्त तरीकों से और सनसनीखेज बनाना था.
पिछले दिनों जमानत याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान एसआईटी ने एक एफिडेविट फाइल कर कहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सलाहकार अहमद पटेल से तीस्ता ने से दो बार पैसे लिए थे. इन पैसों का लेन देन सर्किट हाउस में हुआ था. SIT ने तिस्ता को जमानत ना देने के लिए यह एफिडेविट पेश किया.
एसआईटी ने दावा किया था कि तीस्ता के जरिए गुजरात और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री को बदनाम कर राजनीतिक रोटियां सेकने के प्रयास किए गए.
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