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भूपेश बघेल की मौजूदगी असम में बदल सकती है कांग्रेस की अंतरिम राजनीति की रूप

Khushboo Dhruw
6 April 2021 1:34 AM GMT
भूपेश बघेल की मौजूदगी असम में बदल सकती है कांग्रेस की अंतरिम राजनीति की रूप
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असम विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण के लिए आज मतदान होना है

असम विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण के लिए आज मतदान होना है. चुनाव प्रचार थम चुका है, लेकिन इस बार के प्रचार में काफी कुछ नया देखने को मिला. सबसे ज्यादा खास छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री का असम में प्रचार करने आना रहा. दशकों में पहली बार कांग्रेस पार्टी, किसी पार्टी शासित राज्य के चीफ मिनिस्टर को दूसरे राज्य में जाकर पार्टी का प्रचार करने को लेकर आगे आई है. रायपुर से दिसपुर के बीच तकरीबन 1600 से भी ज्यादा की दूरी है, लेकिन इसके बाद भी पार्टी का यह दांव लगाना कांग्रेस की एक नई राजनीति की तरफ इशारा कर रहा है.

भूपेश बघेल पहली बार 18 जनवरी 2021 को असम पहुंचे. यहां बड़े बड़े दिग्गजों के सामने तीन चरण के चुनाव के लिए अकेले पार्टी का प्रचार करना आसान नहीं था. हालांकि कुछ ही दिन में पार्टी के गौरव गोगोई, सुष्मिता देव, देवव्रत सैकिया, रिपुन बोरा जैसे राज्य के कई चहेरे बघेल के साथ आये और पार्टी की मजबूती दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
4 अप्रैल को असम में चुनाव प्रचार समाप्त होने तक बघेल ने ऊपरी असम, डिब्रूगढ़, बराक घाटी, बारपेटा, दिसपुर और राज्य के हर जिले में 38 जनसभाओं को संबोधित किया. चाईगांव, चेंगा, अभयपुरी में हिंदी भाषी नेता का बड़ी सभाओं को संबोधित करना साधारण नहीं था. हालांकि बघेल यहां जनता से जुड़ने के लिए अक्सर आसामिया या अहोम भाषा में छोटे वाक्यांशों का उपयोग कर रहे थे.
700 राजनीतिक कार्यकर्ताओं की मौजूदगी का प्रभाव
2 मई के फैसले के नतीजे पर अटकलें लगाए बिना, कांग्रेस के लिए इस चुनाव में असम मॉडल काफी प्रेरणादायक है. उन सभी राज्यों के लिए भी जहां कांग्रेस का अस्तित्व समाप्त होता नजर आने लगा है. बघेल के अभियान के अलावा लगभग 700 राजनीतिक कार्यकर्ताओं की उपस्थिति ने भी ख़ासा प्रभाव डाला है.
ध्यान देने वाली बात है कि 126 विधानसभा सीटों में से 116 में, बूथ-स्तरीय प्रशिक्षण और अभिविन्यास कार्यक्रम आयोजित किए गए थे. जहां स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं को बूथ प्रबंधन, सोशल मीडिया, टॉकिंग पॉइंट, सहयोगियों के साथ समन्वय और अन्य मुद्दों की एक श्रृंखला में प्रशिक्षित किया गया था. बघेल के राजनीतिक सचिव, विनोद वर्मा जो कि एक पूर्व पत्रकार भी हैं के अलावा मीडिया सचिव रुचिर गर्ग और एआईसीसी सचिव राजेश तिवारी ने राज्य में कांग्रेस की लड़ाई में दिन रात एक किया. वो भी ऐसी विधानसभा में जहां भाजपा के सर्बानंद रामोवाल की वापसी को एक अग्रगामी निष्कर्ष मान लिया गया है.
कांग्रेस पार्टी में भूपेश बघेल के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. पार्टी में उनका महत्व कभी खत्म नहीं हो सकता है. भूपेश एक आदर्श कैंडिडेट के तौर पर दक्षता और लॉयल्टी जैसे सभी फैक्टर पर खरे उतरते हैं.
40 सीटों पर होनी है वोटिंग
असम विधानसभा चुनाव के लिए दो तिहाई सीटों पर मतदान हो चुके हैं और अब तीसरे व अंतिम चरण की 40 सीटों पर मंगलवार को वोटिंग होनी है. फाइनल दौर की 40 सीटों के लिए 323 उम्मीदवार मैदान में हैं. इस चरण में निचले असम इलाके में बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन में स्थित हैं. यहां मुस्लिम मतदाता काफी अहम भूमिका में है. सत्ताधारी बीजेपी और कांग्रेस की अगुवाई वाले विपक्षी दलों के गठबंधन के लिए यह चरण सबसे ज्यादा अहम है. हेमंत बिस्वा सरमा जैसे दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है.
फाइनल चरण की सीटों का समीकरण
प्रदेश के 16 जिलों की यह 40 विधानसभा सीटें लोअर असम इलाके में फैली हुई हैं. बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (बीटीआर) इलाके की सीटों पर चुनाव है. बीजेपी पिछले चुनाव में भी असम के निचले इलाके में बहुत अच्छा नहीं कर सकी थी. बीजेपी और कांग्रेस को 11-11 सीटों से संतोष करना पड़ा था. वहीं, बदरुद्दीन अजमल की पार्टी AUIDF को 6, असम गणपरिषद को 4 और अन्य को आठ सीटें मिली थीं. इस बार के चुनाव में 29 विधायक एक बार फिर से मैदान में हैं, जिनमें से 9 भाजपा और 8 कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.


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