भीमा कोरेगांव मामला: जांच आयोग के सामने हाजिर हुए एनसीपी चीफ शरद पवार
मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार भीमा कोरेगांव मामले में न्यायिक जांच आयोग के समक्ष पेश होने के लिए आज मुंबई के सह्याद्री गेस्ट हाउस पहुंचे. आयोग के सामने उन्होंने कहा है कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124 A (देशद्रोह) का इस्तेमाल शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से उठाई गई किसी भी आवाज को उठाने के लिए किया जाता है. उन्होंने पार्टी के कार्यकर्ताओं के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दायर करने पर पुलिस की भूमिका पर सवाल भी उठाए. पवार ने आयोग के सामने यह भी कहा कि राज्यसभा सदस्य होने के नाते वह इस मुद्दे को संसद में भी उठाएंगे.
न्यूज एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस की भूमिका पर बोलते हुए शरद पवार ने कहा कि पुलिस की जिम्मेदारी है कि वह कानून-व्यवस्था बनाए रखे और असामाजिक तत्वों को घुसपैठ करने और शांतिपूर्ण प्रदर्शन में गड़बड़ी पैदा करने से रोकने के लिए कारगर कदम उठाए, मगर साथ ही दी हुई शक्ति का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए. शरद पवार ने राजनेताओं को भी सलाह दी कि उन्हें भड़काउ भाषण से बचना चाहिए. शरद पवार ने कहा, 'जब भी कोई राजनेता लोगों को संबोधित करे, तो उन्हें आवश्यक सावधानी बरतनी चाहिए. उनके संबोधन या भाषण में ऐसी बातों का जिक्र नहीं करना चाहिए जो कि विभिन्न वर्गों के बीच शांति के साथ ही कानून और व्यवस्था में गड़बड़ी पैदा कर दे. यदि कोई राजनीतिक व्यक्ति ऐसा करता है तो वह परिणामो के लिए जिम्मेदार होता है.'
पवार ने कुछ दिन पहले कोरेगांव भीमा जांच आयोग के समक्ष एक अतिरिक्त हलफनामा दायर कर 'कानूनी सुधारों' का सुझाव दिया था. उन्होंने अपने हलफनामे में कहा था कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124A (राजद्रोह) को निरस्त कर दिया जाना चाहिए और इसकी जगह पर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66A को फिर से शामिल करना चाहिए.