भारत
जगन्नाथ मंदिर, कोणार्क, काली बाड़ी, काशी विश्वनाथ के लिए भारत गौरव टूरिस्ट ट्रेन
jantaserishta.com
23 April 2023 12:23 PM GMT
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नई दिल्ली (आईएएनएस)| भारतीय रेल की मदद से देशभर के श्रद्धालु को मंदिरों व तीर्थ स्थानों जैसे जगन्नाथपुरी मंदिर, कोणार्क मंदिर, पुरी में लिंगराज मंदिर, कोलकाता में काली बाड़ी और गंगा सागर, गया में विष्णु पद मंदिर और बोधगया, वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर और गंगा घाट और प्रयागराज में त्रिवेणी संगम आदि देखने को मिलेगा। भारतीय रेलवे इसके लिए भारत गौरव टूरिस्ट ट्रेन, 28 अप्रैल से पुणे से पुरी-गंगासागर दिव्य काशी यात्रा शुरू कर रहा है। यह सनातन धर्म के तीर्थयात्रियों के लिए है। रेल मंत्रालय के मुताबिक पर्यटकों को दी जा रही 9 रातों व 10 दिनों की यात्रा में पुरी, कोलकाता, गया, वाराणसी और प्रयागराज के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों को शामिल किया जाएगा। यात्री सबसे प्रसिद्ध मंदिरों और अन्य तीर्थ स्थानों के दर्शन कर सकेंगे।
रेल मंत्रालय का कहना है कि आईआरसीटीसी, इस सर्व समावेशी टूर की पेशकश कर रहा है, जिसमें भारत गौरव ट्रेन के विशेष एलएचबी रेक में आरामदायक रेल यात्रा, ऑन-बोर्ड और ऑफ-बोर्ड भोजन, सड़क परिवहन और गुणवत्तायुक्त बसों में दर्शनीय स्थलों की यात्रा, आवास की व्यवस्था, यात्रा में टूर एस्कॉर्ट्स, यात्रा बीमा, ऑन-बोर्ड सुरक्षा और हाउसकीपिंग के अलावा पर्यटकों के लिए विभिन्न ऑन-बोर्ड मनोरंजन गतिविधियों की सेवा शामिल है।
7 स्लीपर श्रेणी के कोच, थर्ड एसी, थ्री टियर और फर्स्ट एसी, टू टियर कोच से संयोजित, भारतीय रेलवे 3 श्रेणियों में इकोनॉमी, कम्फर्ट और डीलक्सटूर पैकेज की पेशकश कर रहा है और मुख्यत: इकॉनमी सेगमेंट श्रेणी में 750 यात्रियों के लिए बुकिंग की पेशकश कर रहा है।
ट्रेन की बुकिंग को अधिकतम करने के लिए पर्यटकों के लिए टूर की आकर्षक कीमत निर्धारित की है।
रेल मंत्रालय ने देश के विभिन्न भागों से भारत सरकार द्वारा परिकल्पित 'देखो अपना देश' और 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' की पर्यटन अवधारणाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारत गौरव पर्यटक ट्रेनों का संचालन शुरू किया है। मंत्रालय का कहना है कि भारतीय रेलवे भारत को अंतरराष्ट्रीय और घरेलू क्षेत्र में एक आकर्षक गंतव्य के रूप में प्रदर्शित करने के हमेशा प्रतिबद्ध रहा है। भारतीय रेल की इन थीम-आधारित ट्रेनों की परिकल्पना घरेलू पर्यटकों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत से अवगत कराने हेतु की गई है।
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