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कांग्रेस पार्टी से बड़ी खबर आयी है कि पार्टी के 'बड़े' नेता राहुल गांधी पश्चिम बंगाल में करछी घुमाने जा रहे हैं.
सुष्मित सिन्हा। अजय झा। कांग्रेस पार्टी (Congress Party) से बड़ी खबर आयी है कि पार्टी के 'बड़े' नेता राहुल (Rahul Gandhi) गांधी पश्चिम बंगाल (West Bengal) में करछी घुमाने जा रहे हैं. जिन्हें यह नहीं पता कि करछी घुमाना क्या होता है, उन्हें बता दें कि गांव और कस्बों में किसी बड़े अवसर पर जब पूरा परिवार इकठ्ठा होता है तो खाना भी ज्यादा बनता है. परिवार में कुछ महिलायें सुबह से खाना बनाने में लग जाती हैं और कुछ ऐसी भी होतीं है तो सजधज कर रसोई में बीच-बीच में जाती हैं और कड़ाही में पकती सब्जी को करछी से हिला कर आ जाती हैं, ताकि बाद में कोई ये ना कहे कि उनका खाना बनाने में कोई योगदान नहीं था.
पश्चिम बंगाल में अब तक आठ में से चार चरणों का चुनाव हो गया है. कल शाम, 15 अप्रैल, को पांचवे चरण के मतदान के लिए चुनाव प्रचार समाप्त हो जाएगा. पहले चार चरणों में 294 विधानसभा क्षेत्रों में से 135 क्षेत्रों में मतदान हो चुका है. राहुल गांधी अंततः पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार करने जा रहे हैं और आज यानि बुधवार को राहुल गांधी की बंगाल में दो रैलियां होंगी. एक उत्तर दिनाजपुर जिले में और दूसरा दार्जिलिंग जिले में. दार्जिलिंग जिले में मतदान पांचवे चरण में होगा और उत्तर दिनाजपुर जिले में छठे चरण में 22 अप्रैल को मतदान होगा.
पार्टी के युवराज हैं राहुल गांधी
राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के 'बड़े' नेता हैं जिन्हें युवराज भी कहा जाता है, ज़ाहिर सी बात है कि पश्चिम बंगाल में उनके चरण पड़ते ही वहां की धरती हिल जायेगी जिसके कारण प्रदेश के दो बड़े दल सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और उसको कड़ी टक्कर देती भारतीय जनता पार्टी के नेता लुढ़क जायेंगे. चुनाव का गणित बिगड़ जाएगा और बाकी बचे 157 चुनाव क्षेत्रों में गांधी की ऐसी आंधी आएगी कि प्रदेश में वामदलों और कांगेस पार्टी की सरकार बन जायेगी.
कहानी में ट्विस्ट होना चाहिए
वैसे भी किसी कहानी में ट्विस्ट का होना अनिवार्य होता है, वर्ना सिनेमा बोरिंग लगने लगता है. अक्सर एक बड़े किरदार की देर से पर दमदार एंट्री होती है और सिनेमा की कहानी रोचक बन जाती है. जिस असरदार तरीके से राहुल गांधी ने केरल और असम में चुनाव प्रचार किया उससे ओपिनियन पोल करने वालों के सिवाय सभी को लगने लगा है कि इन दो राज्यों के कांग्रेस की सरकार ज़रूर बनेगी और वह सिर्फ राहुल गांधी के कारण ही संभव होगा. यह सोचना कि राहुल गांधी की एंट्री से नरेन्द्र मोदी, अमित शाह, ममता बनर्जी सरीखे नेता डर जायेंगे, गलत नहीं होगा. डरे भी क्यों नहीं जब तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी पिछले एक महीने से 'खेला' करने में लगी हैं और अब राहुल गांधी आकर सभी का 'खेला' बिगाड़ देंगे?
और लगता भी ऐसा ही है कि राहुल गांधी से मोदी और शाह डर गए हैं, क्योकि आज पश्चिम बंगाल में मोदी या अमित शाह प्रचार करते नहीं दिखेंगे, सिर्फ बीजेपी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ही मैदान में होंगे. वैसे भी पश्चिम बंगाल चुनाव नीरस होने लगा था. अगर चुनाव की तुलना किसी सिनेमा से की जाए तो इसमें सिर्फ मार-धाड़ और डायलॉग ही दिख रहा है. कहानी में कॉमेडी का होना भी अनिवार्य होता है. अब राहुल गांधी के प्रवेश से प्रदेश चुनाव में कॉमेडी का तड़का लगेगा, और मजा आ जायेगा.
क्या चुनाव के बाद बनेगा महागठबंधन
देखना होगा कि राहुल गांधी पश्चिम बंगाल के चुनावी पटल पर देर से एंट्री करने का क्या कारण बताते हैं. शायद उन्हें यह बताने की ज़रुरत भी नहीं है, क्योंकि इसका कारण सभी को पता है. इसमें कोई शक नहीं है कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर सीधा और जम कर निशाना साधेंगे, पर क्या ममता बनर्जी पर भी वह उसी तरह निशाना साधेंगे और उनपर भी आक्रमण करेंगे? शायद नहीं, क्योकि अभी से कांग्रेस पार्टी के स्थानीय नेता चुनाव बाद बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए तृणमूल कांग्रेस और वाममोर्चा-कांग्रेस पार्टी गठबंधन के बीच महागठबंधन की बात करते दिखने लगे हैं.
लेकिन शायद अब चुनाव के बाद उस महागठबंधन की ज़रुरत ही ना पड़े. जो काम बीजेपी और पार्टी के बड़े नेता ना कर पाए उसे करने की क्षमता राहुल गांधी में हैं, वह बीजेपी के पक्ष में माहौल बना सकते हैं. अब तो बीजेपी भी मानती है कि राहुल गांधी से बेहतर उनका कोई और स्टार प्रचारक हो ही नहीं सकता. अभी इस बात की पुख्ता जानकारी नहीं है कि क्या राहुल गांधी 25 अप्रैल तक, जिस दिन आखिरी चरण के मतदान के लिए चुनाव प्रचार समाप्त हो जाएगा, लगातार प्रचार करते दिखेंगे या उनकी एंट्री सिर्फ गेस्ट रोल में ही होगी और वह सिर्फ सांकेतिक तौर पर ही चुनाव प्रचार करेंगे. पर इतना तो तय है कि राहुल गांधी के करछी घुमाने के कारण कम से कम पश्चिम बंगाल का पकवान लज़ीज़ तो बन ही जाएगा.
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