जिला अस्पताल के निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने बीते सोमवार को यहां की व्यवस्थाओं पर संतोष जताया और स्टाफ की पीठ भी ठोक गए। करीब साल भर से बंद पड़ा अस्पताल का आईसीयू मुख्यमंत्री के निरीक्षण के दौरान खोला गया और सीएम के जाते ही इसे फिर बन्द कर दिया गया। इस दौरान कोविड पॉजिटिव एक विभागीय कर्मचारी ही आईसीयू में भर्ती था, जिसे मुख्यमंत्री के जाने बाद में वापस जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। कोरोनाकाल में चम्पावत जिला अस्पताल की हकीकत यह है कि यहां ऑक्सीजन लेवल गिरने के कारण डेढ़ माह के भीतर यहां के 13 मरीज दम तोड़ चुके हैं। उनमें से किसी को भी इस अस्पताल में आईसीयू की सेवा नहीं मिल पाई।
लेकिन बीते सोमवार को मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के निरीक्षण के दौरान जिला अस्पताल का आईसीयू खोला गया। इसमें विभाग के ही एक अस्वस्थ कर्मचारी को भर्ती कर रखा था। हालांकि अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि रविवार को इस कर्मचारी की तबीयत काफी बिगड़ गई थी, इसलिए उसे आईसीयू में लेना पड़ा और सोमवार शाम तबीयत में सुधार होने पर उसे वापस जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। जिला अस्पताल में चार वेंटीलेटर युक्त आईसीयू का शुभारंभ पिछले साल 15 अगस्त को हुआ था। स्टाफ की कमी के चलते उद्घाटन के बाद से ही यहां के आईसीयू में ताला लटका हुआ है। इधर, अप्रैल पहले सप्ताह से जिले में कोरोना की दूसरी लहर में कोविड के मामले बढ़ने के बाद अस्पताल में मरीजों की भीड़ बढ़ती गई।
ऑक्सीजन सिलेंडर के सहारे मरीजों को बचाने के प्रयास किए गए। वेंटीलेटर की आवश्यकता को देखते हुए इस दरम्यान कई मरीजों को हायर सेंटर भी रेफर करना पड़ा। ऑक्सीजन लेवल कम होने के कारण करीब डेढ़ माह में 13 मरीजों की इस अस्पताल में मौत भी हो चुकी है। इधर, बीते सोमवार को मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने जिला अस्पताल का निरीक्षण किया था। मुख्यमंत्री अस्पताल की व्यवस्थाओं से इतने खुश नजर आए कि उन्होंने बैठक और पत्रकार वार्ता में भी इसकी चार बार सराहना की। लेकिन हकीकत इसके उलट थी। सीएम का हेलीकॉप्टर टेक ऑफ होते ही जिला अस्पताल के आईसीयू में भर्ती इकलौता मरीज वापस सस्पेक्टेड जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया और आईसीयू में फिर ताला लटक गया।
जिले के लोहाघाट में भी दो वेंटीलेटर युक्त आईसीयू तैयार हुए काफी समय हो गया। उधर, टनकपुर में भी तीन वेंटीलेटर स्थापित हुए करीब 11 माह बीत चुके हैं। इन दोनों सरकारी अस्पतालों में भी आईसीयू संचालन के लिए स्टाफ ही नहीं है। लिहाजा, ये दिखावे भर के आईसीयू हैं। गंभीर बीमार मरीजों को हायर सेंटर ही रेफर किया जाता है।
चम्पावत जिला अस्पताल में आईसीयू संचालन के लिए ट्रेंड स्टाफ नहीं है। इसके लिए सीएमओ के माध्यम से उच्च स्तर पर पत्राचार किया है। स्टाफ न होने के कारण कोरोनाकाल में अब तक आईसीयू में किसी भी मरीज को भर्ती नहीं किया जा सका। रविवार को हमारे स्टाफ के एक कर्मचारी की तबीयत काफी बिगड़ गई थी, तो उसे एहतियातन आईसीयू में लेना पड़ा था। सोमवार शाम तबीयत में सुधार होने पर उन्हें वापस सस्पेक्टेड जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। जब तक पर्याप्त स्टाफ नहीं होगा तब तक आईसीयू संचालन संभव नहीं है।