जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हिमाचल और कर्नाटक को फतह करने में कांग्रेस के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम यानी पुरानी पेंशन योजना रामबाण साबित हुई। जबकि कर्नाटक में तो इस रामबाण के साथ-साथ बजरंगबली के मंदिरों का निर्माण और उनकी देखरेख के लिए बनाए जाने वाले बोर्ड के गठन के वायदे से कांग्रेस के तरकश में बजरंग बाण भी आ गया है। देखना यही है कि क्या उत्तर भारत में रामबाण और बजरंग बाण से कांग्रेस सही सियासी निशाना साध पाती है या नहीं?
कर्नाटक फतह करने के साथ ही कांग्रेस ने अपने सियासी तरकस में दो तरह के 'बाण' तैयार कर लिए हैं। इसमें एक तो है 'बजरंग बाण' और दूसरा है 'रामबाण'। 'रामबाण' के तौर पर कांग्रेस अपने उस सियासी तरकश से 'ओल्ड पेंशन स्कीम' को उत्तर भारत के राज्यों में होने वाले चुनावों में इस्तेमाल करेगा, जबकि 'बजरंग बाण' के तौर पर हाल में ही कर्नाटक में कांग्रेस की ओर से जगह-जगह बनाए जाने वाले मंदिर और उन मंदिरों की देखरेख के लिए बनाए जाने वाले स्पेशल बोर्ड के गठन के वादे के साथ तैयार किया गया है। राजनीतिक विश्लेषक से लेकर कांग्रेस पार्टी के नेता भी इस बात को मानते हैं कि ओल्ड पेंशन स्कीम तो आने वाले चुनावों में कांग्रेस के लिए रामबाण साबित होने वाली है, जबकि बजरंगबली के नाम से आगामी चुनावों में अभी से सियासी मुद्दा बनाने के लिए कांग्रेस के कई नेता जमकर इस शब्द का इस्तेमाल करने लगे हैं।
जिस तरीके से कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश और उसके बाद कर्नाटक में ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने का भरोसा दिलाने के साथ सियासत में बड़ा उलटफेर कर दिया है। उससे अनुमान अब यही लगाया जा रहा है कि लोकसभा चुनावों से पहले भी कांग्रेस इस मुद्दे को बड़े जोर शोर के साथ आगे लेकर आने वाली है। कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल कहते हैं कि ओल्ड पेंशन स्कीम कर्मचारियों के हितों के लिए हैं। पार्टी के नेताओं ने कई बैठकों के बाद यह तय किया था कि ओल्ड पेंशन स्कीम को राज्यों में बहाल किया जाएगा। वह कहते हैं कि हिमाचल और कर्नाटक में लाखों कर्मचारियों ने कांग्रेस के इस वादे पर भरोसा जताया। वह अपनी पहली कैबिनेट के साथ इसको लागू भी कर रहे हैं। कांग्रेस के नेताओं ओल्ड पेंशन स्कीम के बाद चुनावों के नतीजे बदले हुए मिल रहे हैं। उससे पार्टी ने आने वाले राज्यों के विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनावों से पहले इस संबंध में पूरी कार्ययोजना ड्राफ्ट करने का निर्देश भी दिया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद पीएल पुनिया कहते हैं कि उनकी पार्टी हमेशा से कर्मचारियों के हितों के लिए ही लड़ाई लड़ती आई है। उनका कहना है क्योंकि वह खुद ब्यूरोक्रेट रहे हैं इसलिए कर्मचारियों के पेंशन के दर्द को बखूबी समझते हैं। ओल्ड पेंशन स्कीम के माध्यम से न सिर्फ कर्मचारियों का रिटायरमेंट के बाद बेहतर जीवन स्तर और सामाजिक सुरक्षा की गारंटी मिलती है बल्कि इससे सरकार के राजस्व को भी कोई हानि नहीं होती है। पार्टी से जुड़े नेताओं का कहना है कि आने वाले चुनावों में उनकी पार्टी ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने के साथ ही सियासी मैदान में उतरेगी। क्योंकि इसी साल छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश और राजस्थान समेत तेलंगाना में चुनाव है। पार्टी के चुनावी मेनिफेस्टो को तय करने वाली कमेटी से जुड़े वरिष्ठ नेता कहते हैं कि इन सभी राज्यों में जहां पर कांग्रेस की सरकार नहीं है वहां पर ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने और उसका राज्य के लाखों कर्मचारियों को फायदा दिलाने का काम उनकी कांग्रेस सरकार करेगी।