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बुरे फंसे सराफा कारोबारी: 80 करोड़ की सोना-चांदी बिक्री मामले में आयकर विभाग और ईडी ने शुरू की जांच

Admin2
16 Jun 2021 12:19 PM GMT
बुरे फंसे सराफा कारोबारी: 80 करोड़ की सोना-चांदी बिक्री मामले में आयकर विभाग और ईडी ने शुरू की जांच
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नोटबंदी के दौरान पुरानी करंसी के एवज में गुपचुप सोना बेचने के मामले में कानपुर के कई सर्राफ फंस गए हैं। महज तीन दिनों में अरबों का सोना बेचकर पिछली तारीखों के बिल काटने की जांच में अधिकांश ग्राहकों के पते फर्जी पाए गए हैं। आधा दर्जन ऐसे सराफा व्यापारियों का ब्योरा मिला है, जिन्होंने नोटबंदी से पहले कभी 5 करोड़ से ज्यादा का सोना नहीं बेचा लेकिन नवंबर 2016 में 80 करोड़ की बिक्री कर डाली। आयकर विभाग के बाद ईडी ने भी जांच शुरू कर दी है। आठ नवंबर 2016 को हजार और पांच सौ रुपए के नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया था। अचानक की गई इस घोषणा के बाद आठ और नौ की रात को शहर के कई सराफा शोरूम रातभर खुले रहे। चूंकि पुरानी करंसी को बैंक में जमा करने की सुविधा दी गई थी इसलिए लोगों ने अपनी काली कमाई से जमकर सोना खरीदा।

चार साल चली जांच में पाया गया कि 15 नवंबर तक पुरानी करंसी के एवज में ज्वैलरी को थोक के भाव खरीदा गया। इस दौरान सोना 55 से 65 हजार रुपए के भाव में बेचा गया, जो उस समय वास्तविक दर से दोगुना से भी ज्यादा था। रातोंरात कानपुर के आठ सराफा व्यापारियों के खातों में 200 करोड़ रुपए जमा हो गए। नवंबर के दूसरे हफ्ते तक ये रकम 400 करोड़ और नवंबर के आखिरी हफ्ते में 550 करोड़ रुपए से ज्यादा की पुरानी करंसी बैंक खातों में जमा हुई।

पूछताछ में बताया गया कि नोटबंदी की रात में ही ग्राहक टूट पड़े और सोना बिक गया। पिछले पांच साल के आयकर रिटर्न और बैंक खातों की जांच में सामने आया कि जिन व्यापारियों ने नवंबर में 50 से 100 करोड़ का बिजनेस दिखाया, इससे पहले कभी कागजों में उनकी बिक्री 5 करोड़ रुपए से ज्यादा नहीं रही। अधिकांश ने ग्राहकों का ब्योरा नहीं दिया, जिन्होंने दिया, उनकी पड़ताल में 166 ग्राहकों का कोई पता ही नहीं चला। कैश खरीद संबंधित अधिकांश सूचनाएं फर्जी निकलीं। पूरा रिकॉर्ड प्रवर्तन निदेशालय के पास है, जिसकी जांच की जा रही है।

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