कूनो: कूनो नेशनल पार्क में एक और चीते की मौत हो गई है। अधिकारियों ने बताया कि नामीबियाई चीता शौर्य की मौत दोपहर बाद हुई है।चीते की मृत्यु कैसे हुई। इसकी वजहें पोस्टमार्टम के बाद पता चल सकेंगी। बताया जाता है कि चीतों की मॉनिटरिंग कर टीम ने सुबह 11 बजे जब उसे देखा तो …
कूनो: कूनो नेशनल पार्क में एक और चीते की मौत हो गई है। अधिकारियों ने बताया कि नामीबियाई चीता शौर्य की मौत दोपहर बाद हुई है।चीते की मृत्यु कैसे हुई। इसकी वजहें पोस्टमार्टम के बाद पता चल सकेंगी। बताया जाता है कि चीतों की मॉनिटरिंग कर टीम ने सुबह 11 बजे जब उसे देखा तो वह अचेत दिख रहा था। डॉक्टरों की एक टीम ने फौरन उसका इलाज शुरू किया था। टीम ने उसे सीपीआर दिया। इसके बाद उसकी हालत में मामूली सुधार नजर आया था लेकिन दोपहर में 3.17 बजे उसने दम तोड़ दिया।
यह दुखदायी खबर ऐसे वक्त में सामने आई है जब कुछ ही दिन पहले अफ्रीकी देश नामीबिया से लाई गई मादा चीता आशा ने पार्क में तीन शावकों को जन्म दिया है। कूनो नेशनल पार्क में तीन शावकों के जन्म से वन अधिकारी बेहद उत्साहित थे। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने तीन शावकों के जन्म को परियोजना चीता की शानदार सफलता करार दिया था। लेकिन अब नामीबियाई चीता शौर्य की मौत ने एकबार फिर निराश किया है।
मालूम हो कि नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से कूनो नेशनल पार्क में दो ग्रुप में कुल 20 चीते लाए गए थे। कूनो नेशनल पार्क में पशु डॉक्टरों की एक टीम ने पिछले साल अगस्त में सात नर, सात मादा और एक शावक को निगरानी के लिए विभिन्न बाड़ों में रखा था। इनमें से अब तक छह वयस्क चीतों और तीन शावकों की मौत हो चुकी है। नामीबियाई चीता शौर्य की मौत के बाद कुल 10 चीतों की मौत कूनो में हो चुकी है।
मार्च 2023 में मादा चीता सियाया ने चार शावकों को जन्म दिया था। यह खबर सुर्खियां बनी थी लेकिन एक ही शावक जिंदा बच पाया था। मादा नामीबियाई चीता के चार शावकों में से तीन की अत्यधिक गर्मी के कारण मई में मौत हो गई थी। सियाया का नाम बाद में ज्वाला रखा गया था। ज्वाला को भी नामीबिया से लाकर कूनो राष्ट्रीय उद्यान में बसाया गया था।
अभी पिछले दिसंबर महीने में ही नामीबिया से लाए गए नर चीता पवन को कूनो नेशनल पार्क के नयागांव इलाके में छोड़ा गया था। यह पीपलबावड़ी पर्यटन क्षेत्र में आता है। चीतों की मौतों को लेकर आलोचक सवाल भी उठाते रहे हैं। हालांकि नामीबिया के ‘चीता संरक्षण कोष’ (सीसीएफ) ने भारत में चीतों को फिर से बसाने की परियोजना को पटरी पर बता चुके हैं। सीसीएफ की संस्थापक लॉरी मार्कर ने बीते दिनों कहा था कि शुरुआती चुनौतियों और कठिनाइयों के बावजूद परियोजना सही रास्ते पर आगे बढ़ रही है।