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बचपन बचाओ आंदोलन और रेलवे सुरक्षा बल ने 1,600 से ज्‍यादा बच्‍चों को बचाया ट्रैफिकिंग से, जारी की रिपोर्ट

Shantanu Roy
21 Feb 2023 12:48 PM GMT
बचपन बचाओ आंदोलन और रेलवे सुरक्षा बल ने 1,600 से ज्‍यादा बच्‍चों को बचाया ट्रैफिकिंग से, जारी की रिपोर्ट
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जयपुर। नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍म‍ानित कैलाश सत्‍यार्थी द्वारा स्‍थापित बचपन बचाओ आंदोलन(बीबीए) और रेलवे सुरक्षा बल(आरपीएफ) जनवरी, 2020 से अब तक संयुक्‍त छापामार कार्रवाई के तहत 1,600 से ज्‍यादा बच्‍चों को ट्रैफिकर्स के चंगुल से बचा चुके हैं। साथ ही 337 ट्रैफिकर्स को गिरफ्तार भी किया गया है। इस बारे में यहां श्री कैलाश सत्‍यार्थी और आरपीएफ पुलिस के महानिदेशक संजय चंदर ने ‘रेलवेज – मेकिंग द ब्रेक इन ट्रैफिकिंग’ नाम से एक रिपोर्ट जारी की है। दरअसल, भारतीय रेलवे नेटवर्क देश में परिवहन का सबसे बड़ा साधन है। रेलवे की क्षमता को ट्रैफिकर्स ने अपने घृणित व्‍यापार को करने का माध्‍यम बना लिया है। सस्‍ता, सुलभ और पहचान छिपाने में आसानी होने के कारण ट्रैफिकर्स हर साल हजारों बच्‍चों व महिलाओं की ट्रैफिकिंग के लिए रेलवे का सहारा लेते हैं। संभवत: यह दुनिया में रेलवे द्वारा ट्रैफिकिंग के खिलाफ किया जा रहा सबसे बड़ा ऑपरेश्‍न है। ह्यूमन ट्रैफिकिंग दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा संगठित अवैध कारोबार है और यह अरबों डॉलर का व्‍यापार बन चुका है। भारत में भी बाल श्रम, जबरन मजदूरी, बाल वेश्‍यावृत्ति, बाल विवाह आदि के लिए बड़े पैमाने पर बच्‍चों की ट्रैफिकिंग की जाती है। रेलवे इसका एक बड़ा जरिया है। इसी को ध्‍यान में रखते हुए ट्रैफिकर्स की कमर तोड़ने के लिए बीबीए और आरपीएफ ने हाथ मिलाया और संयुक्‍त अभियान चलाया। संजय चंदर इंटरनेशनल यूआईसी सेक्‍योरिटी प्‍लेटफॉर्म के चेयरमैन भी हैं, उन्‍होंने कार्यक्रम की अध्‍यक्षता की। कार्यक्रम में इस प्‍लेटफॉर्म के 22 सदस्‍य देशों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए और सभी ने बीबीए और आरपीएफ के ट्रैफिकिंग रोकने के इस मॉडल को अपने देश में भी लागू करने पर गहन विचार-विमर्श किया।
नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍म‍ानित कैलाश सत्‍यार्थी ने रेलवे सुरक्षा बल की सराहना करते हुए कहा, ‘दुनिया के सबसे बड़े नेटवर्क में से एक भारतीय रेलवे का इस्‍तेमाल ट्रैफिकर्स द्वारा हर साल हजारों बच्‍चों व महिलाओं की ट्रैफिकिंग में किया जा रहा है। मैं रेलवे सुरक्षा बल के नेतृत्‍व और उनकी टीम की प्रतिबद्धता की प्रशंसा करता हूं जो कि चौबीसों घंटे बच्‍चों को ट्रैफिकर्स के चंगुल से बचाने में लगी हुई है। हमारे बच्‍चों को सुरक्षित रखना हमारी सबसे पहली प्राथमिकता है। मेरा संगठन बचपन बचाओ आंदोलन ट्रैफिकर्स की कमर तोड़ने के लिए आरपीएफ के साथ काम करने को लेकर पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। बचपन बचाओ आंदोलन की स्‍थापना नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित कैलाश सत्‍यार्थी द्वारा साल 1980 में की गई थी। अपनी स्‍थापना से अब तक बचपन बचाओ आंदोलन 1,13,500 बच्‍चों को रेस्‍क्‍यू कर चुका है। बीबीए और आरपीएफ ने ट्रैफिकिंग रोकने के लिए मई, 2022 में एक एमओयू साइन किया था। इसके बाद से ही दोनों ट्रैफिकिंग रोकने के लिए साथ काम कर रहे हैं। हालांकि एमओयू से पहले भी दोनों आपस में सहयोग करते रहे हैं। बच्‍चों को रेलवे स्‍टेशनों से, ट्रेन के डिब्‍बों से छुड़ाया जाता है। बीबीए और आरपीएफ के एमओयू का मकसद रेलवे को ट्रैफिकिंग के लिए इस्‍तेमाल न होने देना और इस अपराध पर लगाम लगाना है। बचपन बचाओ आंदोलन, आरपीएफ के लिए ट्रैफिकिंग की रोकथाम के लिए 37 ट्रेनिंग सेशन आयोजित कर चुका है। जिनमें रेलवे पुलिस के अधिकारियों समेत 2,737 लोगों को प्रशिक्षित किया है। समय-समय पर लोगों को ट्रैफिकिंग के प्रति संवदेनशील बनाने और जागरूकता फैलाने के कार्यक्रम भी किए गए हैं। कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन ने लाखों लोगों को गरीबी की ओर धकेला है। इससे भी ट्रैफिकर्स को आसानी हुई है। परिवार चलाने की मजबूरी के चलते गरीब परिवारों के लोग आसानी से इन ट्रैफिकर्स के बहकावे में आ जाते हैं और उत्‍पीड़न का शिकार होते हैं। एमओयू के तहत छापामार कार्रवाई करना, पीडि़तों को मुक्‍त करवाना, प्रशिक्षण कार्यक्रम, कर्मचारियों व अधिकारियों की क्षमता में और इजाफा करना तथा जागरूकता कार्यक्रम चलाना है। आने वाले समय में दोनों संगठन उन बच्‍चों को सुरक्षित करने के लिए बाल सुरक्षा नीति लाएंगे, जिन्‍हें दोनों के संयुक्‍त कार्रवाई में बचाया जाता है। इसके अलावा रेलवे स्‍टेशनों पर निगरानी तंत्र को और मजबूत करने के लिए अधिकतम तकनीक का प्रयोग करना, जिससे ट्रैफिकर्स की पहचान हो सके। साथ ही रेलवे के साथ सूचना साझा करना और दोबारा ट्रैफिक होने की संभावना को खत्‍म करना शामिल है।
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