भारत
बचपन बचाओ आंदोलन और पुलिस ने माचिस फैक्ट्री में रातभर मजदूरी करने वाले आठ बच्चे छुड़ाए
Shantanu Roy
21 March 2023 10:49 AM GMT

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जानिए क्या है पूरा मामला
जयपुर। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ और बिन्दायका थाना पुलिस ने संयुक्त छापामार कार्रवाई करते हुए जयपुर के बिन्दायका औद्योगिक इलाके में चल रही एक माचिस फैक्ट्री से आठ बाल मजदूरों को मुक्त करवाया गया है। इन बच्चों को बिहार से यहां लाकर बालश्रम के दलदल में धकेलने वाले एक ट्रैफिकर को भी पुलिस ने हिरासत में लिया है। मुक्त करवाए गए बच्चों की उम्र 13 से 17 साल है और सभी को बेहतर काम व बेहतर मजदूरी के नाम पर बहला-फुसलाकर यहां लाया गया था। मुक्त होने के बाद बच्चों ने बताया कि उन्हें बिहार के मधेपुरा जिले का रहने वाला ट्रैफिकर हीरा कुमार यहां लाया था। बच्चों ने कहा, ‘यहां उनसे रात आठ बजे से लेकर सुबह आठ बजे तक माचिस फैक्ट्री में काम करवाया जाता था। रात का काम होने के कारण कई बार नींद भी आने लगती थी लेकिन मशीनी काम होने के कारण वह सो नहीं सकते थे। डर लगता था कि कोई हादसा हो जाएगा।’ रहने के बारे में पूछने पर बच्चों ने कहा, ‘पास ही एक जगह किराये पर माचिस फैक्ट्री के मालिक ने एक कमरा किराये पर ले रखा था, जहां हम सुबह सोने व खाने के लिए जाते थे।’ इन बच्चों को दो माह पहले ही यहां लाया गया था। फैक्ट्री में पूरे सप्ताह 12-12 घंटे की दो शिफ्टों में छह दिन काम होता है।
इस तरह इन मासूमों से एक सप्ताह में 72 घंटे काम करवाया जाता था जो कि गलत है। पुलिस ने इस मामले में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट, चाइल्ड लेबर प्रॉहिबिशन एक्ट और बॉन्डेड लेबर प्रोडक्शन एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। साथ ही बच्चों को बिहार से यहां लाने वाले ट्रैफिकर हीराकुमार को हिरासत में भी लिया है। सभी बच्चों का मेडिकल करवाने के बाद चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के सामने प्रस्तुत किया गया, जहां से सभी को कमेटी के आदेश पर शेल्टर होम भेज दिया गया है। चाइल्ड ट्रैफिकिंग और चाइल्ड लेबर पर चिंता जताते हुए ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ के निदेशक मनीश शर्मा ने कहा, ‘बच्चों को बालश्रम और बाल शोषण से बचाने के सख्त कानून हैं लेकिन इसके बाद भी निजी लाभ के लिए बच्चों को व्यापारिक कार्यों में लगाया जा रहा है और उनका शोषण किया जा रहा है। ट्रैफिकर्स दूसरे राज्यों से बच्चों को लाते हैं और फिर उन्हें बाल मजदूरी के अंधे कुएं में फेंक दिया जाता है। यह बच्चों के प्रति होने वाला सबसे क्रूर अपराध है। सरकार को चाहिए कि वह बच्चों को सुरक्षित करे और सुरक्षा एजेंसियों को और भी ज्यादा सक्रिय करे, ताकि बच्चों को एक खुशहाल व उज्जवल भविष्य दिया जा सके।’ ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ के निदेशक ने कहा कि हमारी सरकार से मांग है कि चाइल्ड ट्रैफिकिंग पर रोक लगाने के लिए वह जल्द से जल्द एंटी ट्रैफिकिंग बिल को संसद में पास करवाए।
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Shantanu Roy
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